रेलवे चिकित्सक के चेंबर में ताला जड़ कम्प्यूटर चोरी का लगाया आरोप

बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में पीसीएमडी और रेलवे अस्पताल चिकित्सक डा. राजीव यादव के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को नया बखेड़ा खड़ा हो गया। डा. यादव जोन मुख्यालय पहुंचे तो उनके चेंबर में ताला जड़ा था। इस पर वह पीसीएमडी के चेंबर में पहुंचे और उन्हें वजह जानने का प्रयास किया। लेकिन, उन्होंने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी।
इस पर चिकित्सक ने कार्यालयीन काम करने के लिए उनका कंप्यूटर उठा लिया। इस पर बौखलाए पीसीएमडी ने उन पर चेंबर से कंप्यूटर चोरी करने का आरोप लगाते हुए आरपीएफ को बुला लिया। आरपीएफ ने भी चिकित्सक पर आरपीयूपी एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्व कर लिया है। यह पूरा विवाद उस समय खड़ा हुआ, जब रेलवे केंद्रीय अस्पताल में किसी हानिकारक दवा को लेकर डा. राजीव यादव ने आपत्ति जताई।
साथ सप्लाई रोकने की गुजारिश भी की। उनकी यही आपत्ति अस्पताल प्रबंधन को पसंद नहीं आई और उनका तबादला जोन मुख्यालय में कर दिया गया। इतना ही नहीं उनकी आइडी भी ब्लाक कर दी गई। अब जब मामला शांत होने वाला था, तब मंगलवार की सुबह डा. राजीव यादव के चेंबर में ताला जड़ दिया गया।
सुबह जब वह दफ्तर पहुंचे तो चेंबर बंद था। जब उन्होंने इसे खोलने के लिए कहा तो स्टाफ ने अफसरों के द्वारा मनाही की बात कही। इस पर डा. यादव पीसीएमडी रविंद्र शर्मा के चेंबर पहुंचे और चेंबर बंद करने की वजह जाननी चाही। लेकिन, वे चुप्पी साधे रहे। बार-बार पूछने पर भी जबाव नहीं देने पर उन्होंने बाहर कहीं भी बैठकर काम करने का मन बनाया और पीसीएमडी शर्मा के चेंबर का कंप्यूटर उठा लिया।
यह पूरा मामला सुबह 10:30 बजे के बाद का है। सभी के सामने चिकित्सक ने कंप्यूटर उठाकर लेकर गए। लेकिन, पीसीएमडी ने आरपीएफ को मेमो भेजकर कंप्यूटर चोरी होने की शिकायत की। इस पर आरपीएफ सेटलमेंट का स्टाफ पहुंचा और डा. राजीव यादव को पकड़कर सेटलमेंट पोस्ट ले गए। इतना ही नहीं उनके खिलाफ आरपीयूपी एक्ट का मामला भी दर्ज कर दिया।
उन्हें अब तक पोस्ट में बैठाकर रखा गया है। बाक्स- न्यायालय में नहीं किया पेश आरपीएफ सेटलमेंट पोस्ट ने अपराध दर्ज किया। लेकिन, डा. राजीव यादव को रेलवे न्यायालय में पेश नहीं किया। जबकि, पूरा मामला सुबह का है। डा. यादव की पत्नी लगातार पोस्ट में निवेदन करतीं रहीं कि उन्हें न्यायालय में पेश कर दिया जाए, ताकि इसके आगे की जो भी प्रक्रिया है। आरपीएफ ने अफसरों के दबाव में उन्हें न्यायाल में पेश नहीं किया।
उच्चाधिकारी साधे हैं मौन
यह मामला पिछले कई महीनों से चला आ रहा है। खबर तो यह भी है कि बात रेलवे बोर्ड स्तर तक पहुंच चुकी है। इसके बाद भी उच्चाधिकारियों के द्वारा मामले को सुलझाने के बजाय चुप्पी साधे बैठे हैं। इसके कारण कही न कहीं रेलवे की छवि भी धूमिल हो रही है। इतना ही नहीं इस पूरे मामले में किसी तरह का बयान भी देने से जिम्मेदार अफसर बच रहे हैं।
फिर चला एक-दूसरे का वीडियो बनाने का क्रम
जब डा. राजीव यादव पीसीएमडी के चेंबर में पहुंचे और वजह पूछने लगे तब एक कर्मचारी के द्वारा उनका वीडियो बनाया जा रहा था। जाहिर कि यह पीसीएमडी के इशारे पर हुआ। जवाब में डा. राजीव यादव भी वीडियो बनाने लगे। यह पहला अवसर नहीं है, जब एक- दूसरे का वीडियो बनाने का सिलसिला चला हो।