कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाया जायगा 26 या 27 अगस्त को जानिए सही तारीख
krishna janmashtami kab hai 2024 : हमारे घरों में कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार कब मनाया जाएगा 26 या 27 अगस्त को कौन सा दिन सही रहेगा और जो भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी बांके बिहारी मंदिर में तैयारी भी शुरू हो चुकी है क्योंकि इस बार मथुरा में अलग-अलग दिन बनेगी जन्माष्टमी तो पूरे देश में जन्माष्टमी की डेट क्या रहेगी मथुरा वृंदावन में तो 2 दिन मनाई जाएगी लिए देखते हैं आपके हमारे सामान्य लोगों की करूं मैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार कब मनाया जाएगा और सही तिथि क्या रहेगी व्रत वगैरा माताएं बहने जो रखती हैं वह कब रहेगा
आपको पता ही होगा की जन्माष्टमी का त्योहार श्री कृष्ण के जन्मदिन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है और ब्रज में इन दोनों श्री कृष्ण का यह 5251 व जन्मदिन है जिसे धूमधाम से बनाने की तैयारियां बड़े व्यापक लेवल पर चल रही है
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखा जाएगा और रात में 12:00 भगवान के जन्म के बाद धनिया से बनी पंजीरीका भोग लगाकर व्रत का पारण किया जाता है और देश भर में भी कई भक्त लोग अपने-अपने करूं में श्री कृष्ण के जन्म स्थल मथुरा की जन्माष्टमी के अनुसार व्रत रखते हैं और कान्हा का जन्मदिन मनाते हैं और आपको बता दूं दोस्तों इस बार मथुरा वृंदावन में दो दिन तक श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा अलग-अलग होगी मतलब मथुरा वृंदावन की जन्माष्टमी और रात 2:00 होगी ठाकुर जी के मंगल आरती और दोस्तों जैसा कि आपको पता होगा कि किसी भी त्यौहार की सही तिथि जो होती है वह पंचांग के अनुसार तय होती है और ऐसे में हिंदी तिथि के हिसाब से देखा जाए तो हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है
राइट और इसके ठीक दूसरे दिन यानी की नवमी के मौके पर मंदिरों में नंद उत्सव मनाया थे श्री कृष्ण जन्म कहां खुशी का उत्सव होता है जिसमें प्रतीकात्मक नंद बाबा अपने यहां पुत्र जन्म होने के अवसर पर उत्सव मनाते हैं और ऐसे में संतों के अनुसार दोस्तों इस बार ब्रिज में भी सभी मंदिरों एवं ब्रिज के करूं में भी भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव 26 अगस्त के मध्य रात्रि को मनाया जाएगा तो 26 अगस्त को ही दिन में व्रत रखा जाएगा और रात में 12:00 कान्हा के जन्म के बाद फिर धनिया से बनी पंजीरी का भोगलगाकर व्रत का पालन किया जाएगा वृंदावन स्थित ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी 27 अगस्त को मनाई जाएगी अब समझे इस बार भी पंचांग के अनुसार कैसी तिथि तय हो रही है
मंदिर के प्रबंधक मनीष शर्मा ने बताया कि बांके बिहारी मंदिर में वर्ष भर आयोजित होने वाले सभी पर उत्सव मंदिर के पुरोहित द्वारा तय किए गए पंचांग के अनुसार संपन्न किए जाते हैं जो की उड़िया तिथि के अनुसार होते हैं उद्यत मतलब जिस तिथि में सूर्योदय होता है उसके आधार पर त्योहारों की तिथि तय की जाती है तो बिहारी जी मंदिर के पुरोहित एवं सेवायत आचार्य छैल बिहारी गोस्वामी ने बताया कि हर वर्ष की शुरुआत में ही मंदिर के सभी त्योहार पर उनका पंचांग तैयार कर लिया जाता है
और फिर पूरे साल उसी के मुताबिक सभी कार्य संपन्न किए जाते हैं उन्होंने बताएं कि इस साल क्योंकि अष्टमी तिथि में सूर्योदय 27 अगस्त को होगा इसीलिए मंदिर की परंपरा के मुताबिक श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व उसी दिन मनाया जाएगा और फिर 27 के मध्य रात्रि पश्चात ठाकुर जी की मंगला आरती 2:00 की जाएगी रात 12:00 बजे से आराध्या का महाभिषेक होगा श्री कृष्ण के जन्म के बाद अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि ब्रिज मथुरा वृंदावन के बारे में तो मैंने आपको बता दिया पूरे देश में जन्माष्टमी की सही तारीख क्या रहेगीकब मनाई जाएगी ठीक है क्योंकि मंदिर में तो मंदिर में जहां कहीं भी भगवान श्री कृष्णा कान्हा के मंदिर है
वहां 27 अगस्त को मनाई जाएगी रात लगभग 12:00 बजे ठाकुर का महा अभिषेक होगा मगर इसके दर्शन भक्तों को नहीं होंगे लगभग 2:00 बजे मंगला आरती होगी लेकिन दोस्तों पूरे देश में जो है ना इस साल जन्माष्टमी 26 अगस्त को ही मनाई जाएगी और बाकी कान्हा की नगरी मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का यह 5251 व जन्मदिन इस बार दो अलग-अलग तिथियां के रूप में मनाया जाएगा मतलब गाना के दो बर्थडे बनेगा तो टोटल दो दिन जन्माष्टमी होने के कारण मथुरा आने वाले 29 यात्रियों को भी इस बार मंदिरों का दादी काना यानी नंद उत्सव देखने को नहीं मिलेगा जहां जन्माष्टमी 27 अगस्त को मनाई जाएगी तो देश भर के घरों में तो 26 तारीख को व्रत रहेगा 26 अगस्त को ही मनाई जाएगी रात 12:00 बजे खोल सकती हैं बाकी ऐसी कोई दिक्कत वाली बात नहीं है कि आप 27 तारीख को भी व्रत रख रही हैं
तो भी कोई दिक्कत नहीं है आप जिस श्रद्धा भाव से भगवान श्री कृष्ण की पूजा कर रहे हो कान्हा को प्यार दे रहे हो कान्हा का व्रत कर रहे हो तो आप चाहे 26 को करो चाहे 27 को करो कोई दिक्कत नहीं है बस मन में सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए बाकी आंख बंद कर लो हर रोज कान्हा का बर्थडे है क्योंकि ईश्वर आदि है अनंत है ईश्वर कोई भौतिक वस्तुनहीं है यह आप हम सबके मन की भावनाओं में मां के थॉट्स में जो आपके दिमाग के विचार हैं वहां बसे हुए ईश्वर भगवान कान्हा तो जो तारीख तिथियां वह हमने तय की है ठीक है एक मान्यता है तो दो दिन में किसी भी दिन बना सकते हो बाकी जो मैंने आप मेरे आप को समझने का जो मतलब है भक्ति भाव के अनुसार सच्ची श्रद्धा से बनाओ किसी भी दिन कोई दिक्कत नहीं है ठीक है