Madhya Pradesh

नर्मदा नदी में प्रदूषण पर एनजीटी की सख्ती, 11 कलेक्टर और 14 नगरीय निकायों को भेजा नोटिस

भोपाल।  नर्मदा नदी में मिल रहे नाले और मलजल की वजह से हो रहे प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने सख्ती दिखाई है। बुधवार को भोपाल स्थित सेंट्रल बेंच में सुनवाई के दौरान 11 जिलों के कलेक्टर और 14 नगरीय निकायों के अधिकारियों को जिम्मेदार मानते हुए इन्हें नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। साथ ही इस मामले में पीसीबी से पूछा है कि अब तक जिम्मेदारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। इसके साथ ही एनजीटी के समक्ष 30 दिनों में 10 बिंदुओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

गुजरात के निवासी ने लगाई है याचिका

बता दें कि गुजरात में रहने वाले कीर्ति सचदेव भट्ट ने वहां के हाइकोर्ट में नर्मदा प्रदूषण को लेकर याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने कहा है कि नर्मदा नदी का जो पानी गुजरात में बहकर जाता है, इस पर सौराष्ट्र समेत आसपास की बड़ी आबादी निर्भर है, लेकिन गुजरात पहुंचते तक यह पानी इतना प्रदूषित हो जाता है कि इसे पीने में उपयोग नहीं किया जा सकता। चूंकि नर्मदा नदी मप्र के अमरकंटक से बहती है और इसका 80 प्रतिशत हिस्सा मप्र में है। हाइकोर्ट ने इस याचिका को एनजीटी को ट्रांसफर किया था। अब इसकी सुनवाई भोपाल स्थित एनजीटी की सेंट्रल जोन की बेंच में किया जा रहा है। इस मामले में एनजीटी ने चार अन्य लोगों को भी प्रतिवादी बनाया है। इनमें सचिव पर्यावरण विभाग, सचिव नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग, सदस्य सचिव मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण शामिल है।

एनजीटी ने पीसीबी को भी लगाई फटकार

इस मामले में एनजीटी ने पीसीबी के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि यदि नर्मदा नदी प्रदूषित हो रही है, तो अब तक आपने क्या कार्रवाई की। इसमें अतिक्रमण करने वाले और सीवेज के लिए जिम्मेदारों पर कितना जुर्माना लगाया। इसके साथ ही नर्मदा जिन शहरों में प्रदूषित हो रही है, उनका नाम, जनसंख्या, कितना एमएलडी सीवेज मिल रहा है, कितने एसटीपी बनाए, कितने एसटीपी बनना प्रस्तावित हैं और भविष्य में नर्मदा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए इनके पास क्या योजना है। इन सभी बिंदुओ पर रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत करने को कहा है।

जिम्मेदारों के खिलाफ जुर्माना व अभियोजन के निर्देश

एनजीटी ने पीसीबी को निर्देश दिया है कि नर्मदा नदी को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ प्रदूषण की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई करें। इनको नोटिस भेजकर जुर्माना वसूला जाए। फिर भी यदि लगता है कि नोटिस व जुर्माने के बाद भी सुधार नहीं हो रहा, तो इनके खिलाफ अभियोजना चलाया जाए।

नर्मदापुरम और जबलपुर के बीच अधिक प्रदूषण

नर्मदा नदी में सर्वाधिक प्रदूषण नर्मदापुरम, जबलपुर और बुदनी के बीच है। यह तीनों बड़े शहरी क्षेत्र हैं, जहां सीवेज और इंडस्ट्रियल वेस्ट दोनों ही सीधे नदी में मिल रहे हैं। तीनों जगह पानी बी या सी कैटेगरी का रहता है, जिसे सीधे पीने के उपयोग में नहीं लिया जा सकता है।

नर्मदा का 80 प्रतिशत हिस्सा मप्र में

अमरकंटक से निकलकर अरब सागर में भरूच तक नर्मदा कुल 1,300 किमी का सफर तय करती है, जिसमें से 1,077 किमी का बहाव क्षेत्र मप्र में हैं। 74 किमी महाराष्ट्र में, 39 किमी महाराष्ट्र-गुजरात सीमा पर और 161 किमी गुजरात में है।

इन जिलों के कलेक्टरों व निकायों को भेजा नोटिस

एनजीटी ने अमरकंटक, डिंडौरी, मंडला, जबलपुर, नर्मदापुरम, बुदनी, नेमावर, ओंकारेश्वर, बड़वाह, सनावद, मंडलेश्वर, महेश्वर, बड़वानी और धार जिला कलेक्टर और नगरीय निकायों को नोटिस भेजा है।

Chaiपुर
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NU Desk

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