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होम्योपैथ को एलोपैथ दवाएं लिखने की अनुमति, डॉक्टरों ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले को बताया मरीजों के लिए घातक

महाराष्ट्र सरकार के एक हालिया फैसले ने चिकित्सा जगत में विवाद उत्पन्न कर दिया है. राज्य खाद्य और औषधि प्रशासन (FDA) ने होम्योपैथिक चिकित्सकों को एलोपैथी दवाएं लिखने की अनुमति देने का आदेश जारी किया है, बशर्ते उन्होंने एक प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम पूरा किया हो, जो आधुनिक फार्माकोलॉजी पर आधारित है. इस फैसले को लेकर देशभर के डॉक्टरों ने अपनी चिंता और असहमति व्यक्त की है.

क्या है निर्णय?

महाराष्ट्र सरकार ने जून 2014 में महाराष्ट्र मेडिकल होम्योपैथिक प्रैक्टिशनर एक्ट, 1965 में संशोधन किया था, जिसके तहत होम्योपैथिक चिकित्सकों को एक प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद एलोपैथी दवाएं लिखने का अधिकार मिल गया. हालांकि, इस फैसले का औपचारिक आदेश हाल ही में जारी किया गया. यह निर्णय होम्योपैथिक चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल की अनुमति देता है, जिससे वह मरीजों के इलाज में आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को भी शामिल कर सकेंगे.

डॉक्टरों का विरोध
देशभर के कई वरिष्ठ डॉक्टरों ने महाराष्ट्र सरकार के इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है. भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) के पूर्व अध्यक्ष आर.वी. आसोकन ने कहा कि यह निर्णय स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अत्यंत खतरनाक है. उन्होंने कहा, “मिश्रित चिकित्सा पद्धतियों (Mixopathy) और क्रॉसपैथी (Crosspathy) गलत हैं. इस तरह के फैसलों से सरकारों ने यह माहौल बना दिया है कि कोई भी निर्णय बिना सोचे-समझे लिया जा सकता है.”

इसके अलावा, सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता बाबू के.वी. ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया लगता है और यह 2016 में पुणे IMA द्वारा दायर याचिका के अनुसार नहीं है.

चिकित्सा की वैश्विक मानक
केरल राज्य IMA के शोध प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजीव जयदेवन ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा के लिए आवश्यक प्रशिक्षण का वैश्विक मानक MBBS है. उनका कहना था, “होम्योपैथी एक ऐसा चिकित्सा पद्धति है जो सिद्धांतों और विश्वासों पर आधारित है, जो आधुनिक चिकित्सा के साक्ष्य-आधारित ढांचे से मेल नहीं खाते.”

उन्होंने यह भी कहा कि, “आधुनिक दवाएं केवल वही चिकित्सक लिख सकते हैं, जिन्होंने MBBS की डिग्री प्राप्त की हो और जो आधुनिक चिकित्सा में प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस प्राप्त हो. प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम किसी भी चिकित्सक की गहरी और विस्तृत समझ को नहीं बदल सकता.”

फैसले के परिणाम
चिकित्सकों का मानना है कि इस तरह के निर्णयों से स्वास्थ्य सेवा के मानकों में गिरावट आ सकती है. डॉक्टरों का कहना है कि चिकित्सा के लिए मान्यता प्राप्त वैश्विक मानक हैं और इन मानकों को घटाकर ‘मिश्रित चिकित्सा’ या ‘सर्टिफिकेट कोर्स’ जैसे शॉर्टकट का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए. इसके अलावा, होम्योपैथिक चिकित्सकों को एलोपैथी दवाएं लिखने की अनुमति देने से चिकित्सा क्षेत्र में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.

Chaiपुर
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NU Desk

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