परंपरागत चिकित्सा को नई पहचान देगा छत्तीसगढ़ — वैद्यों को मिलेगा पंजीयन प्रमाण पत्र : CM साय

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य सरकार सभी पंजीकृत वैद्यों को प्रशिक्षण देकर उन्हें पंजीयन प्रमाण पत्र प्रदान करेगी, ताकि दस्तावेज़ों के अभाव में उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
वे आज राजधानी रायपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित राज्य स्तरीय परंपरागत वैद्य सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड द्वारा आयोजित किया गया। प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए वैद्यों ने मुख्यमंत्री साय का स्वागत पारंपरिक जड़ी-बूटी की माला पहनाकर किया। मुख्यमंत्री ने सम्मेलन स्थल पर लगी औषधीय पौधों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और वैद्यों के कार्यों की सराहना की।
पारंपरिक जड़ी-बूटी से हुआ स्वागत...

मुख्यमंत्री साय ने पद्मश्री हेमचंद मांझी का उदाहरण देते हुए कहा कि वे दूरस्थ क्षेत्र में रहकर भी गंभीर बीमारियों का उपचार अपने पारंपरिक ज्ञान से करते हैं — यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 60 से 70 हजार वैद्य हैं, जिनमें से करीब 1500 वैद्य छत्तीसगढ़ में सक्रिय हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को मान्यता दी है और छत्तीसगढ़ आज “हर्बल स्टेट” के रूप में देशभर में पहचान बना चुका है।
औषधीय पौधों पर आधारित क्लस्टर मॉडल...

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में डेढ़ हजार से अधिक औषधीय पौधे पाए जाते हैं। दुर्ग जिले के पाटन के जामगांव में औषधीय अर्क निर्माण इकाई स्थापित की गई है। उन्होंने बताया कि सरकार क्लस्टर आधारित मॉडल विकसित कर रही है ताकि स्थानीय स्तर पर पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों का अधिकतम उपयोग और व्यावसायिक मूल्य संवर्धन किया जा सके।
सरकार का लक्ष्य है — वैद्यों को रोजगार से जोड़कर आर्थिक रूप से सशक्त बनाना। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं।
इस दिशा में कार्यों को गति देने हेतु केंद्र सरकार ने “आयुष मंत्रालय” का गठन किया है।
आयुष मंत्रालय से मिला नया आयाम...
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि परंपरागत वैद्य समाज में सुषेन वैद्य की तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पद्मश्री हेमचंद मांझी दुर्लभ रोगों का भी सफल उपचार कर रहे हैं और उनका योगदान मानव व पशु स्वास्थ्य दोनों क्षेत्रों में अमूल्य है। छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम ने बताया कि सम्मेलन में 1300 से अधिक वैद्यों का पंजीयन हुआ है। बोर्ड “नवरत्न योजना” के तहत हर्रा, बहेड़ा, आंवला, मुनगा जैसे पौधों की व्यापक पौधरोपण योजना शुरू करेगा। मुख्यमंत्री साय ने सम्मेलन के दौरान 25 वैद्यों को कच्ची औषधीय पिसाई मशीनें प्रदान कीं। कार्यक्रम में वैद्यों ने अपने कर्तव्य के प्रति सत्यनिष्ठा और गोपनीयता की शपथ भी ली।
साथ ही डॉ. देवयानी शर्मा की पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसमें दुर्ग वन वृत्त के वैद्यों द्वारा संरक्षित पारंपरिक उपचार विधियों और औषधीय पौधों का संकलन है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही. श्रीनिवास राव ने कहा कि राज्य के आंतरिक क्षेत्रों में वैद्य अपने पूर्वजों के ज्ञान से लोगों की सेवा कर रहे हैं। इन वैद्यों को सशक्त बनाना और संरक्षण देना हम सबकी जिम्मेदारी है।आयुष मंत्रालय से मिला नया आयाम
वैद्य समाज में सुषेन वैद्य की तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे...
सम्मेलन में छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी, आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रदीप कुमार पात्रा, सीईओ जे. ए. सी. एस. राव सहित प्रदेशभर से आए वैद्यगण व गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।