फर्जी डिग्री बनाने वाले यूनिवर्सिटी संचालको की शर्मनाक हरकत
सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाइकोर्ट में याचिका लगाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता को फर्जी मामले में फसाने की कोशिश। पुलिस ने जांच में हो गया षड्यंत्र बेनकाब। छत्तीसगढ़ की ISBM और MATS विश्वविद्यालय द्वारा फर्जी डिग्री का मामला उलझता ही जा रहा है। इन दोनों यूनिवर्सिटियों द्वारा बनाई गई कथित फर्जी डिग्रीयों की जांच को लेकर हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता संजीव अग्रवाल पर याचिका वापस लेने के लिए भरपूर दबाव बनाया जा रहा है। इसके लिए तमाम तरह के हथकंडे भी यूनिवर्सिटी संचालक अपनाने से बाज नही आ रहे हैं।
लगभग 3 माह पहले याचिकाकर्ता संजीव अग्रवाल के खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराने वाली महिला और उसका साथ और समर्थन देने वाली एक राजनीतिक दल से जुड़ी महिलाओं के संबंध सीधे सीधे इन यूनिवर्सिटी संचालको के साथ थे। इसकी तस्दीक पुलिस ने भी अपनी जांच में की है। हालांकि संजीव अग्रवाल ने इस तरह के षड्यंत्र का अंदेशा पहले ही जताया था और महिलाओं की छेड़छाड़ की शिकायत के बाद पुलिस को भी इसमें षड्यंत्र की शिकायत की थी संजीव अग्रवाल ने इस बात की आशंका भी जाहिर की थी कि इस षड्यंत्र के पीछे यूनिवर्सिटी संचालकों के हाथ होने की पूरी संभावना है। जो कि अब पुलिस की प्राथमिक जांच में साफ हो गया है।
पुलिस की अब तक की जांच से स्पष्ट हो रहा है कि दोनों महिलाएं यूनिवर्सिटी संचालकों से लगातार संपर्क में थी। सामाजिक कार्यकर्ता संजीव अग्रवाल का कहना है कि वे इस पूरे षड्यंत्र की जानकारी हाइकोर्ट के समक्ष दस्तावेजो के साथ रखेंगे।और मांग करेंगे कि यूनिवर्सिटी संचालकों के खिलाफ षड्यंत्र और विस्सल ब्लोअर एक्ट के तहत कार्यवाही करने के निर्देश दें।
गौरतलब है कि रायपुर की मैट्स यूनिवर्सिटी ने पैसे लेकर बेक डेट में जहां विधायक विनय जायसवाल की डिग्री जारी कर दी वही ISBM विश्वविद्यालय ने जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी की DCA की डिग्री जारी कर दी थी। लेकिन हाइकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल होने के बाद दोनों विश्वविद्यालय हाइकोर्ट में तमाम नोटिस के बाद भी जवाब नही दे पा रहे हैं।