धान उपार्जन केंद्र में दिखी भारी अनियमितता, बदइंतजामी का पारा गरमाया, फटे हुए बारदाने में धान भर कर किया जा रहा है स्टेकिंग…
कोरिया। छत्तीसगढ़ शासन की सबसे महत्वपूर्ण योजना धान ख़रीदी इन दिनों प्रदेश के हर जिला मे आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों द्वारा की जा रही है। किसान टोकन कटने से लेकर अपने धान को समिति पहुचाने तक अपनी बारी आने के इंतजार के जद्दोजेहद में लगे हुए है वहीं समिति भी अपने स्तर पर शासन द्वारा धान ख़रीदी के निर्देशों का परिपालन कर रही है पर कहीं कहीं अनियमितता इस कदर बढ़ गई है कि शासन के निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
धान उपार्जन केंद्र जिल्दा में आकस्मिक निरीक्षण करने पर अव्यवस्था पाई गई, बदइंतजामी इस कदर देखा गया कि दूर दराज से आए हुए किसानों को किसी प्रकार कोई सुविधा मुहैया नहीं हैं। पेयजल, छाया, शौचालय सहित सभी बुनियादी सुविधा की व्यवस्था ठप पाई गई। किसानों से क्रय किए गए धान के बोरों का भौतिक सत्यापन करने पर 1 से 3 किग्रा ज्यादा धान की खरीदी करना पाया गया, तौल में भारी झोलझाल कर समिति प्रबंधक किसानों को ठगने का प्रयास कर रहें है।
बदइंतजामी का पारा सबसे ऊपर, स्टेकिंग किया हुआ धान बारदाने से फट कर बिखर रहा...
क्रय किए हुए धान को फटे हुए बारदाने में भर कर स्टैकिंग की जा रही, जबकि पूरे जिले सहित प्रदेश भर में कहीं भी बारदाने की कोई कमी नहीं है, फिर भी फटे हुए बार दाने मे धान को भर कर स्टेकिंग की जा रही है,जिससे धान का अनावश्यक बिखराव देखा गया, जिससे शासन को लाखों रूपये का चूना लग रहा है, एवं धान के रखरखाव की स्थिति भी बेहद खराब देखी गई।
किसानों को मजदूरी कार्य करने को लेकर किया जा रहा है बाध्य...
धान उपार्जन केंद्र जिल्दा में मजदूरो की भी भारी कमी देखी गई , हमारे संवाददाता द्वारा किसानों से चर्चा करने पर पता चला कि धान क्रय के दौरान किसानों से मजदूरी कार्य धान बोरी भराई, सिलाई, तौलाई, व स्टैकिंग का कार्य बेगारी के तौर पर कराया जा रहा है। धान खरीदी के दौरान धान उपार्जन केंद्र जिल्दा नोडल अधिकारी भी नदारद दिखे, समिति प्रबंधक अखिल चंद्र के गैरज़िम्मेदाराना रवैया के कारण स्टैकिंग किए गए धान बारदाने से फट कर बिखर रहा है, मानो प्रबंधक को धान खरीदी से कोई सरोकार ही नहीं, मौके पर देखा गया की धान की नमी जांचने का उपकरण भी गायब दिखा, बदइंतजामी मे नाम कमाने वाले प्रबंधक अखिल चंद्र के बारे में कुछ किसानों का कहना है कि समिति प्रबंधक द्वारा हम किसानों से अभद्र व्यवहार किया जाता है।
इस तरह के समिति प्रबंधकों के व्यवहार से किसानों को मानसिक प्रताड़ना झेलना पड़ रहा है, कुछ किसान दबी आवाज में मीडिया तक अपनी बात पहुंचा पाते है तो कुछ किसान इन प्रबंधकों के डर और भय से कुछ भी बोलने से बचते नज़र आते है। शासन प्रशासन के कड़े निर्देशो के बाद भी कुछ समिति प्रबंधक शासन को ठेंगा दिखाने का काम कर रहे हैं वहीं अपनी मनमानी करने पर उतारू हैं, शायद इन्हें कलेक्टर या प्रशासन का कोई भय नहीं है क्यूंकि गड़बड़ करने मे माहिर प्रबंधक को कई वर्षों का धान ख़रीदी का अनुभव है शायद इसलिए अनियमितता बरतने के बावजूद भी प्रशासन की नज़र इनकी गलतियों पर नहीं पड़ रही। अब देखने वाली बात यह है कि इस तरह के समिति प्रबंधकों पर प्रशासन किस तरह की कार्यवाही करता है।