बिशुनपुर में मिशन अमृत सरोवर: जल संरक्षण और ग्रामीण आजीविका का नया मॉडल

बैकुण्ठपुर। मानव निर्मित तालाब सदियों से जलसंरक्षण और भूमिगत जल संवर्धन का महत्वपूर्ण माध्यम रहे हैं। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चलाए गए मिशन अमृत सरोवर ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी जल संसाधनों और आजीविका के अवसरों का नया अध्याय लिखा है।
बैकुण्ठपुर जनपद पंचायत के ग्राम बिशुनपुर में एक पुराना तालाब गाद जमने और अनुपयोगी होने के कारण वर्षों तक अस्तित्वहीन रहा। मिशन अमृत सरोवर के तहत इसके नवीनीकरण के बाद यह अब ग्राम पंचायत का बेहतरीन बहुपयोगी जल संसाधन बन गया है।
तीन गुना बढ़ी जलभराव क्षमता...
नवीनीकरण के बाद इस तालाब में पहले से तीन गुना अधिक जलभराव क्षमता हो चुकी है। अब आसपास के कई एकड़ खेतों में सिंचाई के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है। साथ ही तालाब में मछलीपालन जैसी आजीविका गतिविधियाँ चल रही हैं, जिससे स्थानीय महिलाओं के समूह को स्थायी स्वरोजगार प्राप्त हो रहा है।
अमृत सरोवर की खासियत...
- तालाब का क्षेत्रफल एक एकड़ या उससे अधिक होना चाहिए
- गाद जमने या अतिक्रमण के कारण अनुपयोगी तालाबों को चयनित किया जाता है
- नवीनीकरण के बाद कम से कम 10 हजार घनमीटर जलभराव क्षमता सुनिश्चित की जाती है
- तालाब में मछलीपालन और आजीविका गतिविधियाँ संचालित की जाती हैं
- जनभागीदारी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय पर्वों पर ध्वजारोहण, स्वच्छता अभियान, पौधारोपण और योग दिवस जैसी गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं
मनरेगा से निर्मित अमृत सरोवर...
बिशुनपुर तालाब के नवीनीकरण के लिए 9.14 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। कार्य पूरा होने के बाद तालाब का 10 हजार घनमीटर से अधिक जलभराव सुनिश्चित हुआ। यह ग्रामीण खेती और पशुपालन के लिए एक स्थायी जल संसाधन बन गया है।
महिलाओं के लिए आजीविका का साधन...
तालाब में कार्यरत स्थानीय स्व-सहायता महिला समूह मछलीपालन से प्रतिवर्ष लगभग 2 लाख रुपये की आय प्राप्त कर रहा है। तालाब को लीज पर आवंटित करने से ग्राम पंचायत को भी आय सुनिश्चित होती है।
जनसहभागिता का केंद्र...
तालाब के किनारे अब सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन नियमित रूप से किया जाता है। राष्ट्रीय पर्व पर ध्वजारोहण, स्वच्छता अभियान, पौधारोपण और विश्व योग दिवस जैसी गतिविधियों से यह सरोवर गांव का महत्वपूर्ण सहभागिता केंद्र बन चुका है।