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26/11 Mumbai Attack: भारत लाया जाएगा 26/11 का मास्टरमाइंड, तहव्वुर राणा की गिरफ्त से खुल सकते हैं खुफिया नेटवर्क के राज!

दिल्ली। मुंबई 26/11 आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को अब कभी भी भारत लाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार अमेरिका से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और राणा को भारत में लाकर एनआईए की हिरासत में सौंपा जाएगा। दिल्ली और मुंबई की जेलों में उसके लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, ताकि अमेरिका की न्यायपालिका की सिफारिशों के अनुरूप उसकी निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

2019 से चल रहा था प्रत्यर्पण का प्रयास
भारत सरकार ने साल 2019 में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की आधिकारिक मांग अमेरिका से की थी। तब से केंद्र सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां लगातार प्रयासरत थीं। आखिरकार, अमेरिकी अदालत ने भारत के पक्ष में फैसला दिया और इस साल की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि तहव्वुर राणा को अब “भारत में न्याय का सामना करना होगा।” यह मोदी सरकार के निरंतर दबाव और कूटनीतिक कोशिशों का नतीजा है।

लश्कर का अहम सदस्य था राणा
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य रहा है। उसने अपने साथी डेविड कोलमैन हेडली की मदद की, जो 26/11 हमले से पहले भारत आया था और हमले के संभावित ठिकानों की रेकी की थी। राणा ने हेडली को पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज दिलवाए थे, ताकि वह भारत में स्वतंत्र रूप से घूम सके और लश्कर को जानकारी दे सके। यह हमला लश्कर और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिश थी, जिसमें राणा की भूमिका बेहद अहम मानी गई।

हमले के बाद भी नहीं दिखाई शर्म
26 नवंबर 2008 को जब मुंबई के कई इलाकों पर आतंकियों ने हमला किया, तब राणा अमेरिका में बैठकर लगातार अपडेट ले रहा था। जांच के दौरान यह सामने आया कि राणा ने हमले में मारे गए लोगों की संख्या पर खुशी जताई थी और कहा था कि इस हमले में शामिल आतंकियों को पाकिस्तान का सबसे बड़ा सैन्य सम्मान मिलना चाहिए। उसका यह रवैया उसके चरमपंथी विचारों और आतंक के प्रति सहानुभूति को साफ दिखाता है।

डॉक्टर से आतंक का सरगना बनने तक
तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। उसने आर्मी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की और करीब 10 साल तक पाकिस्तान आर्मी में डॉक्टर के रूप में सेवा दी। बाद में वह कनाडा चला गया और वहीं का नागरिक बन गया। हालांकि, आईएसआई और लश्कर से उसके संबंध पहले जैसे ही रहे। राणा आईएसआई के मेजर इकबाल का करीबी माना जाता है, जिसने मुंबई हमलों की योजना बनाई थी।

हमले से ठीक पहले भारत में था राणा
जांच एजेंसियों के अनुसार राणा हमले से पहले 11 से 21 नवंबर 2008 तक भारत में मौजूद था। वह दुबई के रास्ते भारत आया और मुंबई के पवई इलाके में स्थित रेनेसां होटल में रुका था। हमले के कुछ दिन पहले ही वह भारत से लौट गया था। इस बात से भी साफ है कि राणा की भूमिका सिर्फ प्लानिंग में नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर भी अहम थी।

FBI ने डेनमार्क हमले की साजिश में पकड़ा
2009 में एफबीआई ने तहव्वुर राणा और डेविड हेडली को उस समय गिरफ्तार किया, जब वे डेनमार्क के एक अखबार पर हमले की साजिश रच रहे थे। उसी दौरान जांच एजेंसियों को 26/11 हमलों में राणा की भूमिका के सुराग मिले। अमेरिका ने हेडली को पहले ही सजा सुनाई है, लेकिन राणा के खिलाफ भारत में कानूनी कार्रवाई अब शुरू हो सकेगी।

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
तहव्वुर राणा के भारत आने की पूरी प्रक्रिया पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह मंत्रालय की कड़ी नजर है। उसे कुछ हफ्तों तक एनआईए की कस्टडी में रखा जाएगा ताकि उससे 26/11 हमले से जुड़े और सुराग निकाले जा सकें। इस मामले में कई नई जानकारियों की उम्मीद की जा रही है जो पाकिस्तान और आईएसआई की साजिशों को उजागर कर सकती हैं।

Chaiपुर
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NU Desk

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