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Magh Purnima 2025 : माघ पूर्णिमा कब है, माघ मास में कुंभ स्‍नान करने का आखिरी मौका

Magh Purnima 2025 Date : माघ पूर्णिमा इस साल 12 फरवरी को है। जो लोग कुंभ में स्‍नान करने का सौभाग्‍य अभी तक नहीं प्राप्‍त कर सके हैं उनके लिए माघ मास में कुंभ स्‍नान करने का यह आखिरी मौका है। माघ पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्‍नान करने और दान करने का विशेष महत्‍व माना जाता है। माघ मास के सभी दिन स्‍नान करने के लिए शुभ माने जाते हैं और जिन लोगों ने अभी तक स्‍नान नहीं किया है वे माघी पूर्णिमा पर स्‍नान कर सकते हैं। माघ पूर्णिमा की तिथि को लेकर लोगों के मन में भारी कन्‍फ्यून बना हुआ है कि यह 11 फरवरी को है या फिर 12 फरवरी को। आइए दूर करते हैं आपका कन्‍फ्यूजन और जानते हैं माघ पूर्णिमा का महत्‍व और तिथि।

माघ पूर्णिमा कब है
माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी शाम 6 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी। यह 12 फरवरी शाम 7 बजकर 22 मिनट तक होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि महत्वपूर्ण है। इसलिए माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 11 फरवरी की शाम को होगा। उदया तिथि के महत्व के कारण, माघ पूर्णिमा का पर्व अगले दिन मनाया जाएगा।

माघ पूर्णिमा स्‍नान का शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में स्‍नान करने का सर्वाधिक महत्‍व माना जाता है। इसके साथ ही पूरे दिन कभी भी स्‍नान करके पुण्‍य प्राप्‍त कर सकते हैं। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 19 मिनट से 6 बजकर 10 मिनट तक है। गोधूलि मुहूर्त शाम 6 बजकर 7 मिनट तक है। अमृत काल शाम 5 बजकर 55 मिनट से रात को 7 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। सुबह जल्दी उठने वालों के लिए ब्रह्म मुहूर्त शुभ माना जाता है। शाम के समय गोधूलि बेला होती है। अमृत काल, शाम से रात तक का समय भी स्‍नान के लिए महत्वपूर्ण है।

माघ पूर्णिमा की पूजाविधि
– माघी पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है। यह पूर्णिमा स्नान-दान के लिए भी खास मानी जाती है।
– इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान पुण्यदायक होता है। पूजा में सबसे पहले विष्णु और लक्ष्मी जी को स्नान कराएं। फिर उन्हें नए वस्त्र पहनाए।
– पूजा स्थल को फूलों से सजाएं। सुंदर रंगोली बनाएं। पूजा में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
– विष्णु जी को तुलसी दल जरूर अर्पित करें। दीपक जलाते समय ध्यान रखें कि वह घी का हो। आरती के बाद व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इससे व्रत का पूरा फल मिलता है।
– भोग लगाने के बाद प्रसाद सभी में बांटें। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से विशेष पुण्य मिलता है। इस पूजा और व्रत से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

Chaiपुर
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NU Desk

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