BilaspurChhattisgarh

ये बहाना भी ठीक है वर्षा न गर्जना फिर भी बिजली कर रही बाय-बाय

बिलासपुर–   बिजली कर रही बाय-बाय। ऐसे में तो आज नहीं तो कल बिजली के अधिकारी व मैदानी अमले की पेशी हो ही जाएगी। पेशी कोई और नहीं, उपभोक्ता ही लेंगे। उपभोक्ताओं की पेशी का मतलब तो हम सब अच्छी तरह समझते ही हैं। ये बुलाते नहीं खुद ही पहुंच जाते हैं। और जब पहुंचते हैं तो क्या होता है यह भी हमें अच्छी तरह पता है।

समय रहते व्यवस्था दुरुस्त हो जाए तो ही ठीक है। इसी में सबकी भलाई है। नहीं तो पता नहीं क्या-क्या हो जाए? तभी तो सत्ताधारी दल से जुड़े एक नेताजी इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अभी से ही माहौल बनाने लगे हैं चुनाव है बिजली गुल होगी तो आंच सरकार तक तो जाएगी ही। आंच सरकार तक न पहुंचे इसके लिए नेताजी माहौल बनाने भी लगे हैं। मुद्दा भी लाजवाब है। कहते हैं भाजपाइयों से बिजली वाले सांठगांठ कर लिए हैं।

बुलेट नेताजी और फोटो सेशन

एक जमाना था तब गांव में बुलेट की आवाज आते ही सन्नाटा पसर जाता था। बुलेट की आवाज मतलब पुलिस अफसरों की आमद। पुलिस का आना अपने आप में तनाव भरा होता है। सोचिए एक दशक पहले जब बुलेट की सवारी करते खाकी वर्दीधारी गांव पहुंचते थे और गांव की गुड़ी में अपनी पंचायत लगाया करते थे तब गांववालों की क्या हालत होती रही होगी।

समय बदल गया तो सबकुछ बदल ही गया है। एक बात नहीं बदली तो वह बुलेट की सवारी है। आज भी शान की है। बात अलग है कि अब ये यूथ से लेकर नेताजी लोगों की सवारी बन गई है। मुंगेली नाका चौक और रात का समय साथ में स्ट्रीट लाइट की दुधिया रोशनी में चमचमाती बुलेट और उस पर बैठे नेताजी। एक फोटो तो बनती है। दो अध्यक्षों के बीच बात बन रही थी। एक फोटो खींच रहे थे और दूसरा खींचा रहे थे।

शुरू हुई टिकट की धक-धक

पांच साल से चुनाव लड़ने मैदान तैयार करने वाले दावेदारों की धड़कनें अब तेज होने लगी हैं। इनकी क्या कहें। जब-जब अखबार में खबर पढ़ते हैं कि अब स्क्रीन कमेटी की बैठक होनी है। केंद्रीय चुनाव समिति की दिल्ली में बस एक दो दिन में बैठक होने वाली है। लिखने वाले तो लिख देते हैं और अखबार की प्रमुख खबर भी बन जाती है। पर इनका आपने सोचा है। इनकी क्या हालत होती होगी। पढ़ते ही धकधकी आ जाती है।

कुछ करने का मन नहीं लगता है। हाथ एकाएक जुड़ जाता है और मन आराध्य की ओर लग जाता है। फिर शुरू होता है मन्नत का दौर। झट उठे और कदम सीधे मंदिर की ओर। वहां से आका का फोन घनघनाने लगते हैं। आश्वासन के अलावा कुछ मिल भी नहीं रहा है। दिन को चैन और न ही रात को नींद आती है। करें तो क्या करें। समझ नहीं आ रहा।

अब बरसने लगे चुनावी नोट

चुनाव में अभी भी दो महीने शेष है। राजनीतिक दलों के साथ ही प्रशासन की अपनी तैयारी शुरू हो गई है। अफसर स्ट्रांग रूम से लेकर मतगणना स्थल और मतदान केंद्रों की पड़ताल करने लगे हैं। राजनीतिक दल के दिग्गज उम्मीदवार तय करने में व्यस्त हैं। दावेदार संभावना तलाश रहे हैं। यह तो हुआ एक एपीसोड। अब दूसरे की तरफ नजरें घुमाते हैं। इंतजाम में माहिर खिलाड़ी प्रबंधन में जुट गए हैं।

यहां से वो उठाया और वहां ले जाकर छोड़ दिए। फिर वहां से कुछ उठाया और दूसरी जगह सुरक्षित छोड़ आए। उठाने और छोड़ने के फेर में पुलिस के घेरे में भी आ जा रहे हैं तभी तो कभी पांच लाख तो कभी आठ लाख और कभी इससे ज्यादा। रुपये के अलावा अब बर्तन और साड़ी भी थोक के भाव में हाथ लग जा रही है। ये सब चुनावी है। गाढ़ी कमाई का नहीं काली कमाई का हिस्सा है।

Chaiपुर
Show More

NU Desk

Our Mission NATION UPDATE News is the Best Online News Channel in Chhattisgarh. News is at the very core of an informed citizen, it builds awareness about the happenings around and such awareness can be crucial in taking decisions on a normal working day. At NATION UPDATE News, We believe that every news starts with a voice, a voice with concern that wants to discuss or criticise what’s happening around. So before becoming news, it first becomes the voice of masses, that’s what news is at NATION UPDATE News.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker