दलों के वोटबैंक युवा, फिर भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को मोहताज

रायपुर। छत्तीसगढ़ में राजनीतिक दलों के लिए युवा वोटबैंक तो हैं मगर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने के लिए मोहताज हैं। उच्च शिक्षा की बुनियादी ढांचा को मजबूत करने के लिए छत्तीसगढ़ की सरकार ने कई प्रयास किए हैं, इससे कतई गुरेज नहीं किया जा सकता है मगर अभी भी चुनौतियां बाकी हैं। आलम ये है कि विश्वविद्यालयों में 64 प्रतिशत, कालेजों में 42 प्रतिशत शैक्षणिक पद खाली हैं। इसके अलावा 285 सरकारी कालेजों में प्रोफेसरों के 695 पद भरे नहीं जा सके हैं।
चुनाव के समय युवा राजनीतिक दलों की प्राथमिकता में होते हैं, मगर पिछले कई दशकों से उच्च शिक्षा हाशिए पर है। कालेज-विश्वविद्यालय तो बढ़े पर पर्याप्त भर्तियां नहीं हो पाई हैं। हालांकि भूपेश सरकार ने प्रदेश में 1384 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती की है। 10 अंग्रेजी माध्यम के कालेज भी खुले हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक से अधिक विश्वविद्यालय- कालेज स्थापित होना चाहिए ताकि अधिकतम सीटों पर अधिक से अधिक छात्र समायोजित हो सकें।
प्रदेश में उच्च शिक्षा में निजीकरण भी तेजी से हो रहा है। अब तक 16 निजी विश्वविद्यालय खुले हैं मगर वे भी फलीदायी नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि यहां फीस अधिक होने से सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए यह उपयोगी नहीं हैं। इतना ही नहीं, निजी कालेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी होने के कारण भी यह विद्यार्थियों की प्राथमिकता में शामिल नहीं हैं। उच्च शिक्षा की क्षमताओं के साथ-साथ गुणवत्ता बढ़ाने की जरूरत है। हालांकि पिछले पौने पांच वर्षो में 78 प्रतिशत कालेजों की नैक से ग्रेडिंग कराई गई है।
कालेजों की संख्या बढ़ने से बढ़े विद्यार्थी
कालेज में पढ़ने वाले छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पौंने पांच वर्षों में कुल 33 सरकारी, 76 प्राइवेट कालेज खोले गए हैं। वर्ष 2018-19 में करीब 2 लाख 26 हजार 373 छात्रों ने कालेज में प्रवेश लिया वहीं यह संख्या वर्ष 2022-23 में 48 प्रतिशत बढ़कर 3 लाख 35 हजार 139 हो गई है, जो कि 2018-19 की तुलना में एक लाख 8 हजार 766 अधिक है। प्रदेश में 15 सरकारी विश्वविद्यालय, 285 सरकारी कालेज, 12 अनुदान प्राप्त प्राइवेट कालेज और 252 प्राइवेट कालेज संचालित हैं।
रैंकिंग में राज्य का कोई भी विश्वविद्यालय नहीं
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एनआइआरएफ (नेशनल इंस्टिट्यूशनल फ्रेमवर्क) रैंकिंग-2023 में आइआइएम (भारतीय प्रबंधन संस्थान) रायपुर ने 11वां रैंक, एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) रायपुर ने 39वां रैंक, आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) भिलाई ने 81वां, एनआइटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रायपुर पिछले वर्ष-2022 में 65वें रैंक की तुलना में पांच अंक पिछड़ते हुए 70वें रैंक, गुरुघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के फार्मेसी संस्थान ने 43वां रैंक प्राप्त किया है। डेंटल, विधि, कालेज व विश्वविद्यालयों की कैटेगरी में प्रदेश के एक भी संस्थान 100 में भी जगह नहीं बना पाए।
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. शिवकुमार पांडेय ने कहा, उच्च शिक्षा में ग्रास इंरोलमेंट रेशियो बेहद कम है। जो युवा गली-गली में घूम रहे हैं उनके लिए कालेज-विश्वविद्यालय तो होना चाहिए मगर यहां मानसिकता ठीक नहीं दिखती। नए संस्थान खोलने के लिए राजनीतिक निर्णय तो लिए जाते हैं पर यहां पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति और भवन का अभाव है। कई संस्थान तो मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं, इसलिए उच्च शिक्षा की गुणवत्ता लाना चुनौतीपूर्ण है।सरकारों की प्राथमिकता में ये संस्थान कतई नहीं है।
कालेजों में अभी भी इतने पद खाली
पदनाम स्वीकृत कार्यरत रिक्त
स्नातकोत्तर प्रिंसिपल 58 21 37
स्नातक प्रिंसिपल 218 45 173
प्रोफेसर 595 00 595
असिस्टेंट प्रोफेसर 4320 2131 2189
स्पोर्ट्स आफिसर 146 75 71
लाइब्रेरियन 154 86 68
रजिस्ट्रार 18 03 15
कुल पद 5,509 2,361 3,148
प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक पद खाली
विश्वविद्यालय स्वीकृत पद कार्यरत खाली
पं. रविशंकर शुक्ल विवि रायपुर 223 104 119
अटल बिहारी विवि बिलासपुर 55 17 18
हेमचंद यादव विवि दुर्ग 35 00 35
संत गहिरा गुरु, विवि सरगुजा 41 15 26
इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़ 67 29 28
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि 34 08 26
(अन्य विश्वविद्यालयों में भी कमोबेश यही स्थिति है।)