क्या दीवारों पर देवी-देवताओं के पोस्टर चिपकाने की प्रथा पर लगेगा प्रतिबंध?, जनहित याचिका पर दिल्ली HC का आदेश…
नई दिल्ली। सार्वजनिक रूप से पेशाब करने, थूकने और कूड़ा फेंकने से रोकने के लिए दीवारों पर भगवान की तस्वीरें, पोस्टर चिपकाने की प्रथा के खिलाफ एक वकील की ओर से दिल्ली HC ने दायर याचिका पर दलीलें सुनीं. इसके बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की कोर्ट ने कहा कि वह याचिका के संबंध में उचित आदेश पारित करेंगे।
बता दें कि गोरंग गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका (PIL) में आरोप लगाया गया है कि भले ही लोग सार्वजनिक जगहों पर पेशाब करने से रोकने के लिए देवी देवताओं की छवियों का उपयोग साधन के रूप में कर रहे हैं. लेकिन इससे बड़े पैमाने पर लोगों की धार्मिक भावनाओं को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक रूप से पेशाब और गंदगी पवित्र देवी देवता की छवियों की पवित्रता को गंभीर रूप से बदनाम और अपमानित करती है।
वकील ने अदालत से आप सरकार नई दिल्ली नगरपालिका परिषद दिल्ली छावनी बोर्ड और दिल्ली नगर निगम को दीवारों पर देवताओं के पोस्टर चिपकाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए निर्देश देने की मांग की है. खुले में पेशाब करने थूकने और कूड़ा फेंकने से रोकने के लिए दीवारों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाने की आम प्रथा ने समाज में एक गंभीर खतरा पैदा कर दिया है. क्योंकि देवताओं की तस्वीरें का उपयोग इस काम को रोकने के लिए नहीं होना चाहिए. क्योकि लोग सार्वजनिक रूप से देवताओं की पवित्र तस्वीरों पर पेशाब करते और थूकते हैं।
याचिकाकर्ता वकील ने दावा किया कि यह अधिनियम भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 295, 295ए के साथ-साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है. जिससे आम जनता की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है।