गांव में शराब पीने के लिए वैध अहाते की मांग: पंच का नया प्रस्ताव, गांव में मचा विवाद…

पेंड्रा। ग्रामीण क्षेत्र में सार्वजनिक रूप से शराब सेवन और उस पर हो रही पुलिस कार्रवाई को लेकर अब पंचायत स्तर पर समाधान की मांग उठने लगी है। सेवरा गांव के पंचों ने एक प्रस्ताव रखते हुए कहा है कि यदि सरकार शराब बिक्री को वैध मानती है, तो लोगों को इसे मर्यादित रूप से पीने के लिए एक तय स्थान, यानी ‘अहाता’, उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
खुले में शराब सेवन से बढ़ती समस्याएं...
गांव में शराब पीने की घटनाएं आम हो चुकी हैं। लोग अक्सर सड़कों, खेतों या खाली जगहों पर बैठकर शराब पीते हैं, जिससे सामाजिक माहौल बिगड़ रहा है। आए दिन झगड़े, गाली-गलौज और पुलिस कार्रवाई की घटनाएं सामने आती हैं। पंच भोलाराम यादव का कहना है, “सरकार शराब बेच रही है, लेकिन पीने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। इससे लोग खुले में पीते हैं और पुलिस से टकराव होता है।”
पुलिस की कार्रवाई से ग्रामीणों में नाराजगी...
पुलिस द्वारा की जा रही छापेमारी और जुर्माने से ग्रामीण परेशान हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कभी-कभी बिना उचित सुनवाई के भी पुलिस सख्ती करती है, जिससे गांव में डर और नाराजगी का माहौल बना हुआ है।

पंचायत बैठक में प्रस्ताव, सरपंच ने भी जताई सहमति...
पंच रमेश गुप्ता ने पंचायत की बैठक में वैध अहाता खोलने का प्रस्ताव रखा, जिसे कई पंचों और ग्रामीणों का समर्थन मिला। उनका मानना है कि इससे शराब पीने की गतिविधियां नियंत्रण में रहेंगी और गांव का माहौल सुधरेगा। सरपंच दुर्गा ओट्टी ने भी इस मुद्दे पर विचार करने की बात कही और कहा कि अगर यह व्यवस्था गांव के हित में है, तो प्रस्ताव को जिला प्रशासन तक पहुँचाया जाएगा।
दूसरे जिलों में पहले से मौजूद है ऐसी व्यवस्था...
कुछ जिलों में पहले से ही शराब दुकानों के पास अधिकृत अहाते बनाए गए हैं, जहां लोग शांति से शराब पी सकते हैं। इससे न सिर्फ सड़क पर उपद्रव की घटनाएं कम होती हैं, बल्कि पुलिस और जनता के बीच टकराव भी टलता है।
महिलाओं ने जताई आपत्ति...
हालांकि गांव की कुछ महिलाओं ने इस प्रस्ताव पर विरोध जताया है। उनका कहना है कि इससे शराब सेवन को बढ़ावा मिलेगा और परिवारों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। एक महिला ने कहा, “पहले ही घर बर्बाद हो रहे हैं, अब अगर गांव में ही बैठकर शराब पीने लगे तो स्थिति और बिगड़ जाएगी।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार...
पंचायत अब इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से जिला प्रशासन के समक्ष रखने की तैयारी में है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि यह पहल गांव में अनुशासन और सामाजिक समरसता लाने में मदद करेगी।