छत्तीसगढ़ की अनोखी परंपरा : पहले प्रकृति, फिर परिवार — बहेराडीह का दो दिनी राखी उत्सव…

जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ का बहेराडीह गांव राखी पर्व को एक अलग और अनोखे अंदाज में मनाने के लिए पूरे प्रदेश में मशहूर है। यहां राखी का त्योहार सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि पूरे दो दिन तक मनाया जाता है। खास बात यह है कि भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले बहनें पेड़-पौधों को राखी बांधती हैं और उन्हें बचाने का संकल्प लेती हैं।
पहले दिन ‘प्रकृति राखी’ का उत्सव...
रक्षाबंधन से एक दिन पहले यहां ‘प्रकृति राखी त्योहार’ मनाने की परंपरा है। इस दिन महिलाएं गांव के पेड़ों को राखी बांधती हैं और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हैं। यह पहल बहेराडीह के किसान स्कूल से शुरू हुई थी, जहां पिछले चार साल से यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस अनूठी परंपरा की चर्चा अब पूरे प्रदेश में होने लगी है और लोग इसे सराहते भी हैं।
पर्यावरण को भाई मानने का संकल्प...
किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों में पेड़ों को बचाने की जागरूकता बढ़ाना है। पेड़ों को राखी बांधने का मतलब है उन्हें भाई की तरह मानकर उनकी रक्षा का वचन लेना। इस साल भी बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चियां इस आयोजन में शामिल हुईं।
खास मेहमानों की मौजूदगी...
कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास अधिकारी अनिता अग्रवाल और जिला पंचायत सदस्य उमा राजेन्द्र राठौर समेत कई स्थानीय प्रतिनिधि मौजूद रहे। वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू के नाम से स्थापित किसान स्कूल इस पहल को आगे बढ़ा रहा है। महिलाओं ने जोश और उत्साह के साथ पेड़ों को राखी बांधी और लोगों से अपील की कि वे पेड़ों को न काटें और उनका संरक्षण करें।