Top Maoist Surrender : 25 साल बाद हथियार डालने की कगार पर नक्सल संगठन का बड़ा चेहरा, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

बीजापुर। Top Maoist Surrender : छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। बताया जा रहा है कि नक्सल संगठन (CPI Maoist) से जुड़ा शीर्ष नेता कमलू, जो पिछले करीब 25 वर्षों से सक्रिय है, अब mainstream में लौटने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कमलू संगठन में लंबे समय से DVCM (Divisional Committee Member) के पद पर कार्यरत था और कई बड़े हमलों की रणनीति में उसकी भूमिका रही है।
कमलू का झुकाव अब मुख्यधारा की ओर, संगठन में हलचल तेज
जानकारी के अनुसार, कमलू ने हाल के महीनों में संगठन के अंदर बढ़ते दबाव और घटते जनसमर्थन के चलते हथियार छोड़ने का मन बनाया है। उसने अपने नजदीकी सूत्रों को संकेत दिया है कि वह जल्द ही आत्मसमर्पण कर सकता है। इस कदम को सुरक्षा एजेंसियां (Security Agencies) बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रही हैं, क्योंकि इतने लंबे समय से सक्रिय किसी शीर्ष नक्सली (Top Maoist Leader) का सरेंडर क्षेत्र में हिंसा कम करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
नक्सल मोर्चे पर प्रशासन की सतर्क नजर, आधिकारिक पुष्टि का इंतज़ार
हालांकि प्रशासन की ओर से इस पूरे मामले में अभी तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन बीजापुर के सुरक्षा तंत्र ने संभावित surrender movement को लेकर पूरी स्थिति पर करीबी नजर रखी हुई है। बताया जा रहा है कि कई खुफिया सूत्रों ने कमलू के संपर्क में आने की पुष्टि की है। यदि यह सरेंडर होता है, तो यह बीजापुर जिले में पिछले दशक का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाएगा।
हालिया surrender wave के बाद बढ़ी उम्मीदें, सरकार की नीतियां असर दिखा रहीं
हाल के महीनों में नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार की पुनर्वास नीतियों (Rehabilitation Policy) और लगातार चल रहे ऑपरेशनों का असर दिखने लगा है। राज्य में हाल ही में 210 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जिनमें कई कुख्यात कमांडर भी शामिल थे। बस्तर और कांकेर इलाके में हुए इन surrender cases ने यह संकेत दिया है कि अब माओवादी संगठन के भीतर असंतोष बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कमलू जैसे वरिष्ठ नक्सली भी मुख्यधारा में लौटते हैं, तो यह नक्सल आंदोलन की कमर तोड़ने वाला मोड़ साबित होगा।
नक्सल क्षेत्र में बदलता समीकरण, ‘Top Maoist Surrender’ से नया अध्याय शुरू होने की संभावना
क्षेत्रीय विश्लेषकों का मानना है कि कमलू का आत्मसमर्पण केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि विचारधारा के पतन का प्रतीक होगा। बीजापुर और आस-पास के इलाकों में पिछले कुछ महीनों से माओवादी गतिविधियों में गिरावट दर्ज की गई है। यदि यह surrender वाकई में होता है, तो यह स्थानीय युवाओं के लिए भी एक मजबूत संदेश होगा कि अब बंदूक नहीं, विकास ही असली रास्ता है।



