नक्सलियों का प्रस्ताव सरकार ने ठुकराया: बिना हथियार डाले नहीं होगी बातचीत, शाह की बैठक में वार्ता पर नहीं हुआ मंथन…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद तेजी से कमजोर हो रहा है और इसी बीच नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी ने सरकार के समक्ष शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, केंद्र और राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक नक्सली हथियार नहीं डालते, तब तक किसी भी तरह की बातचीत नहीं की जाएगी।
बीते दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दंतेवाड़ा में उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें नक्सलियों की इस पेशकश पर कोई विशेष चर्चा नहीं हुई। सरकार का सख्त रुख है कि नक्सली पहले आत्मसमर्पण करें और फिर वार्ता के लिए आगे आएं।
नक्सलियों का प्रस्ताव और हालात...
नक्सलियों की ओर से जारी परचे में कहा गया कि वे सरकार के साथ युद्धविराम के लिए तैयार हैं, यदि सुरक्षा बलों का अभियान रोका जाए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पिछले 15 महीनों में उनके 400 साथी मारे जा चुके हैं। यह प्रस्ताव हैदराबाद में हुई सेंट्रल कमेटी की बैठक के बाद सामने आया।
सरकार का जवाब...
राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जब तक नक्सली हथियार नहीं छोड़ते, तब तक वार्ता की कोई गुंजाइश नहीं है। इसी तरह, सुरक्षा बलों के ऑपरेशन्स या नए कैंपों की स्थापना को लेकर नक्सलियों की शर्तों को भी सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है। केंद्रीय मंत्री शाह ने भी दो टूक कहा है कि नक्सली हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हों।
नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ का लक्ष्य...
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने बस्तर दौरे के दौरान यह घोषणा की कि अगले साल तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने तीन जिलों को पहले ही नक्सल मुक्त घोषित किया है और ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। बस्तर में सुरक्षा बलों ने मोर्चा संभाल रखा है और सरकार का अभियान अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है।