Fake Reviews रोकने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम, उल्लंघन करने पर लग सकता है जुर्माना…
आज का यह दौर पूर्णतः डिजिटल हो गया है। डिजिटलाइजेशन के इस दौर में एक तरफ जहां बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां आम जनता के बीच अपने आपको बेहतर साबित करने के लिए रिव्यू का सहारा लेती हैं तो वहीं अब केंद्र सरकार फेक रिव्यु पर कड़ा रुख अपनाने को तैयार है।
केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स पोर्टल या वेबसाइट पर फर्जी रिव्यू (Fake Review) पर रोक लगाने की तैयारी कर ली है. हम और आप जब भी ई-कॉमर्स के ज़रिए कोई सामान खरीदते हैं तो उसपर दिए गए रेटिंग को ज़रूर देखते हैं और उससे प्रभावित भी होते हैं, लेकिन ये रेटिंग कितने सही या गलत होते हैं इसका पता नहीं होता।
अब केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने इन रेटिंग्स की सत्यता और प्रामाणिकता तय करने को लेकर एक मानक जारी किया है. 25 नवंबर से नए मानक लागू कर दिए जाएंगे. हालांकि, फिलहाल इन मानकों का पालन कंपनियों के लिए ऐच्छिक बनाया गया है लेकिन सरकार ने साफ़ कर दिया है कि आगे चलकर इनका पालन अनिवार्य बनाया जाएगा।
इस बात पर दिया गया ज्यादा ध्यान...
नए मानक उन सभी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म, वेबसाइट और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लागू होंगे जिनपर रिव्यू और रेटिंग लिखे जाते हैं. सरकार के मुताबिक, कंपनियों को नए मानक के मुताबिक अपने यहां रेटिंग और रिव्यू लिखने की व्यवस्था करनी होगी. नए मानक में सबसे ज्यादा जोर रिव्यू की पारदर्शिता तय करने और प्राइवेसी सुनिश्चित करने पर दिया गया है।
सजा और जुर्माने का भी है प्रावधान...
भारतीय मानक ब्यूरो ने इन मानकों को तैयार किया है. मानक तैयार करने के लिए एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, रिलायंस, जोमैटो, स्विगि, टाटा संस और कई अन्य कंपनियों से सुझाव मांगे गए थे. सरकार का कहना है कि ज्यादातर कंपनियों ने इन मानकों का पालन करने को लेकर हामी भरी है. मानकों का पालन फिलहाल ऐच्छिक बनाया गया है लेकिन सरकार ने साफ़ किया है कि इनका उल्लंघन करने पर उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत अनुचित व्यापार माना जाएगा, जिसके लिए सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है।
सरकार जताई उम्मीद...
सरकार के इस कदम से फेक रिव्यू (Fake Reviews) से धोखा देने की कोशिशों पर लगाम लगेगी. फर्जी रिव्यू लिखने वालों को खोजने का मैकेनिज्म बनाया जाएगा. फर्जी रिव्यू एक बड़ी चुनौती है और इसको रोकने और ग्राहकों के हित सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही थी. हालांकि, सरकार का कहना था कि कंपनियां अपने स्तर पर कई तरह के नियम बना चुकी है और कानूनी तौर पर भी उसके पास की अधिकार हैं. ऐसे में ग्राहकों के लिए उसको अपग्रेड करने की जरूरत है।