कबीर चबूतरा निर्माण को लेकर कवर्धा में तनाव, संत प्रकाशमुनि धरने पर बैठने का ऐलान

कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में एक बार फिर तनाव की स्थिति बन गई है। ग्राम नवागांव में जमीन विवाद को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। गांव की भूमि पर कबीर चबूतरा निर्माण को लेकर दो पक्ष आमने-सामने हैं। इसी मुद्दे पर बीते दिनों एक पक्ष के ग्रामीणों ने चबूतरा निर्माण का विरोध करते हुए कवर्धा–राजनांदगांव मार्ग पर चक्काजाम किया था।
इधर, कबीर पंथ के अनुयायियों ने कबीर चबूतरा में तोड़फोड़ किए जाने और उनके गुरु प्रकाशमुनि व उदित मुनि के पोस्टर फाड़े जाने का आरोप लगाया है। इस मामले में संत प्रकाशमुनि नाम साहेब की एंट्री के बाद स्थिति और गरमा गई है। संत प्रकाशमुनि सैकड़ों समर्थकों के साथ कवर्धा पहुंचे हैं और पोस्टर फाड़ने के आरोपियों की गिरफ्तारी तथा कबीरधाम के पुलिस अधीक्षक को हटाने की मांग को लेकर कवर्धा मुख्यालय में धरना देने का ऐलान किया है।
पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए पोस्टर फाड़ने के आरोप में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उन्हें शहर में जुलूस निकालते हुए पेश किया।
प्रार्थी पुनित झारिया पिता धनसाय झारिया, निवासी नवागांव की शिकायत पर कवर्धा पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। पुलिस ने घटनास्थल से फाड़े गए बैनर-पोस्टर, सफेद झंडा, नीलगिरी की बल्ली और बांस का कमचील जब्त किया है। जांच में सोहन नाथ शिवोपासक पिता गौकरण नाथ शिवोपासक तथा मनहरण नाथ योगी पिता नारायण नाथ योगी, दोनों निवासी नवागांव, की संलिप्तता पाए जाने पर पुलिस ने दोनों को विधिवत गिरफ्तार किया। दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर न्यायिक रिमांड पर भेजने की प्रक्रिया की जा रही है।
कबीरधाम पुलिस ने आम नागरिकों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि धार्मिक उन्माद फैलाने या कानून व्यवस्था बिगाड़ने का प्रयास करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उधर, चबूतरा निर्माण का विरोध कर रहे पक्ष का आरोप है कि स्कूल के लिए सुरक्षित की गई जमीन पर अवैध रूप से कबीर कुटी का निर्माण किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी पक्ष का कहना है कि इस संबंध में कई बार प्रशासन से शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं होने पर उन्हें सड़क पर उतरकर विरोध करना पड़ा। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जब तक निर्माण कार्य पूरी तरह नहीं रोका जाता और भूमि को विद्यालय के लिए सुरक्षित नहीं किया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।



