शिमला समझौते की ऐतिहासिक टेबल से हटाया गया पाकिस्तान का झंडा, अब केवल तिरंगा शान से लहरा रहा है…

हिमाचल प्रदेश के राजभवन में शिमला समझौते की याद दिलाने वाली ऐतिहासिक टेबल से पाकिस्तान का स्मृति झंडा हटा दिया गया है। यह वही टेबल है, जिस पर 2 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ था। उस समय भारत की ओर से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह ऐतिहासिक घटना शिमला के बार्नेस कोर्ट (अब राजभवन) में हुई थी।
अब तक इस टेबल पर भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के झंडे एवं नेताओं की छायाचित्रों के साथ इस समझौते की यादें संजोकर रखी गई थीं। मगर हाल ही में पाकिस्तान की ओर से समझौते को रद्द करने जैसे बयान और पहलगाम में हुए आतंकी हमले के मद्देनजर राजभवन सचिवालय ने टेबल से पाकिस्तान का झंडा हटा दिया है। अब इस टेबल पर केवल भारत का तिरंगा गर्व से लहरा रहा है।
शिमला समझौते का ऐतिहासिक महत्व...
1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद जब पाकिस्तान के 90,000 से अधिक सैनिक युद्धबंदी बनाए गए थे, तब दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य करने और युद्धबंदियों को रिहा करने के लिए बातचीत की ज़रूरत महसूस हुई। इसी उद्देश्य से 2 जुलाई 1972 को शिमला में दोनों देशों के नेताओं ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते में तय किया गया कि...
- दोनों देश आपसी विवादों का समाधान शांतिपूर्ण बातचीत से करेंगे।
- भविष्य में भी दोनों देशों के प्रमुख मिलते रहेंगे।
- किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी।
- सीमा पर शांति बनाए रखी जाएगी और सेनाएं अपनी-अपनी सीमाओं में लौटेंगी।
- यातायात और व्यापारिक संबंधों को फिर से बहाल करने की कोशिश की जाएगी।
राजभवन में रखी गई यह टेबल केवल एक फर्नीचर नहीं, बल्कि भारत-पाक इतिहास की एक अहम गवाह रही है। अब, बदलते हालातों और पाकिस्तान के रुख को देखते हुए, इस ऐतिहासिक धरोहर की गरिमा केवल तिरंगा ही बढ़ा रहा है।