दो माह में 138 माेटरसाइकिल चोरी, कबाड़ दुकानों में खप रही गाड़ियां

बिलासपुर। शहर के पुलिस थानों के आसपास खुलेआम कबाड़ियों का अवैध कारोबार फल फूल रहा है। थाना प्रभारी से लेकर पुलिस स्टाफ रोजाना कबाड़ दुकान संचालकों के पास उठ बैठ रहे हैं। दुकानों में चोरी की मोटरसाइकिल से लेकर सरकारी लोहे पर नजर भी पड़ रही है, लेकिन कबाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस प्रशासन हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। पुलिस की आंकड़े बता रहे हैं कि दो माह के भीतर 138 माेटरसाइकिल चोरी की घटना हुई है। गाड़ी कबाड़ दुकानों में आसानी से खप रही है।
सरकंडा,सिविल लाइन, कोनी, सिटी कोतवाली, तोरवा, तारबाहर, चकरभाठा, सिरगिट्टी, सकरी थाना के आसपास से कबाड़ दुकानों की लाइन शुरू होती है। अवैध दुकानों को बंद करवाने के लिए पुलिस हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। पुलिस संरक्षण से ही कबाड़ दुकानें संचालित हो रही है। यही वजह है कि अब चोर मोटरसाइकिल, बिजली के टावर, रेलवे ट्रैक से लोहा उखाड़कर कबाड़ दुकानों में आसानी से खपा रहे हैं। जगह-जगह बिजली का टावर होने से चोर और कबाड़ियों का धंधा बढ़ गया है।
इस व्यसाय में पुलिस और प्रशासन का काई रोकटोक नहीं हैं। जिले में एक हजार से अधिक जगहों पर कबाड़ दुकान चल रही है। कबाड़ समान को सड़क तक फैलाकर रखते हैं। लेकिन पुलिस और न ही निगम प्रशासन कार्रवाई करती है। संचालक बेधड़क बिजली टावरों के लोहे को खरीद रहे हैं। दूसरे जगह महंगे दाम में सप्लाई करते हैं। बाइक व अन्य चोरियों के सामान खपाना आम बात हो चुकी है।
पांच मिनट में मोटरसाइकिल पार
दुकान के सामने हो या बाजार, होटल, कार्यक्रम स्थल के पास खड़ी मोटरसाइकिल सिर्फ पांच मिनट में चोरी हो रही है। जिले में प्रतिदिन गाड़ियों की चोरी हो रही हैं। लोग अपनी मेहनत की कमाई से मोटरसाइकिल खरीदते हैं और दुकान, बाजार के पास खड़ी करते ही चोरी हो जा रही है।
नाबलिग चोर सक्रिय
पुलिस की जांच में पता चला कि आजकल मोटरसाइकिल चोरियों के मामले में नाबालिग सक्रिय हैं। सिम्स अस्पताल, जिला अस्पताल, सब्जी बाजार, कार्यक्रम स्थल से चोरी हो रही हैं। ऐसे जगह पर किसी को शक भी नहीं होता है। चोर आसानी से मोटरसाइकिल चोरी कर भाग जाते हैं।
पुलिस के बड़े अधिकार के आने के बाद होती है कार्रवाई
जिले में जब भी नए एसपी या फिर आइजी के आने के बाद जुआ, सट्टा के साथ ही कबाड़ दुकान संचालकों पर कार्रवाई की जाती है। यह परंपरा पिछले लंबे अरसे से चल रही है। शुरुआत में दिखावे के लिए एक-दो महीने कार्रवाई की जाती है। इसके बाद फिर से कबाड़ दुकान संचालक बेखौफ होकर अपना कारोबार करते हैं। पुलिस अफसर भी शुरुआत में छोटे दुकान संचालकों को अपना निशाना बनाते हैं। जबकि, बड़े कबाड़ दुकान संचालकों पर कार्रवाई नहीं होती।