Sita Navami 2025 : सीता नवमी कब है 5 या 6 मई? जानें पूजा विधि और क्यों मनाया जाता है यह पर्व

हिंदू धर्म में सीता नवमी का खास महत्व होता है। यह त्योहार हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने और माता सीता की विशेष पूजा करने का खास महत्व होता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर माता सीता का जन्म हुआ था। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल यह तिथि कब पड़ रही है और इस दिन पूजा करने की सही विधि क्या है। साथ ही, विस्तार से जानें कि सीता नवमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है।
सीता नवमी कब, 5 या 6 मई
इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 मई, सोमवार को सुबह 7 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 6 मई को सुबह 8 बजकर 39 मिनट तक रहेगी। माता सीता का जन्म वैशाख शुक्ल नवमी, मंगलवार, पुष्य-नक्षत्र, कालीन तथा मध्याह्न के समय हुआ था क्योंकि, 6 मई के दिन यह मध्याह्न व्यापिनी नहीं है। ऐसे में 5 मई के दिन ही सीता नवमी मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत भी रखा जाएगा।
सीता नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 मई, सोमवार को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि सुबह 7 बजकर 36 मिनट से शुरू हो रही है। ऐसे में इसी समय से माता सीता की पूजा की जा सकती है। लेकिन नवमी तिथि को मध्याह्न के समय देवी सीता का जन्म हुआ था। ऐसे में इस दिन अभिजीत मुहूर्त के समय पूजा करना अत्यंत शुभ रहेगा। यह मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर के 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस दिन अमृत काल दोपहर में 12 बजकर 20 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस दौरान माता सीता की पूजा करना सबसे श्रेष्ठ रहेगा और फलदायी साबित होगा।
सीता नवमी पूजा विधि
जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं उन्हें सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए। इसके बाद, स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और व्रत व पूजा का संकल्प लें। अब एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता सीता और श्रीराम जी की तस्वीर स्थापित करें। अब पूरे स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करके माता सीता का श्रृंगार करें उन्हें सुहाग की चीजें चढ़ाएं। इसके बाद, माता सीता को फूल-माला, चावल, रोली, धूप, दीप, फल, मिठाई आदि अर्पित करें। अब माता सीता की आरती करने के लिए तिल के तेल या शुद्ध घी का दीया प्रज्वलित करें। दीपक जलाने के बाद माता सीता के मंत्रों का 108 बार जाप करें और सीता चालीसा का भी पाठ करें। इसके बाद, शाम के समय भी माता सीता की आरती उतारें। इस तरह माता सीता की पूजा करने से व्यक्ति को अत्यंत शुभ फल की प्राप्ति होती है।
सीता नवमी क्यों मनाई जाती है?
माना जाता है कि वैशाख शुक्ल नवमी, मंगलवार, पुष्य नक्षत्र कालीन तथा मध्याह्न के समय माता सीता का जन्म हुआ था। ऐसे में हर वर्ष वैशाख माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन महाराज जनक संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ की भूमि को तैयार करने में लगे थे और हल से जमीन जोत रहे थे। उसी समय धरती के गर्भ से सीता जी मनुष्य के रूप में प्रकट हुई थीं। यही कारण है कि सीता नवमी के दिन माता सीता का जन्मोत्सव मनाया जाता है।