सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और कानून मंत्री के बीच तीखी बयानबाजी, दोनों ही अपने-अपने हिसाब से दे रहे यह तर्क…
जजों की नियुक्ति और कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ (D.Y. Chandrachud) और कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) के बीच तीखी बयानबाजी चल रही है. सरकार ने जजों की नियुक्ति पर कई सवाल उठाए हैं. तो वहीं, सुप्रीम कोर्ट सरकार के सवालों से बचाव कर रही है और अपने स्तर पर तर्क दे रही है।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के एक बयान पर CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ का जवाब कहा, “सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई मामला छोटा नहीं है. अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं और राहत देते हैं, तो हम यहां क्या कर रहे हैं?”
कानून मंत्री का बड़ा बयान कहाअदालतों को मिलने वाली लंबी छुट्टी सुविधाजनक नहीं: कानून मंत्री...
CJI चंद्रचूड़ की यह टिप्पणी कानून मंत्री रिजिजू के एक बयान के बाद आई है. किरेन रिजिजू ने हाल ही में राज्यसभा में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जमानत याचिकाओं और छोटी जनहित याचिकाओं से खुद को चिंतित नहीं करना चाहिए, जब लंबित मामलों की संख्या इतनी अधिक है. साथ ही गुरुवार (15 दिसंबर) को रिजिजू ने राज्यसभा में कहा, “देश के लोगों के बीच यह भावना है कि अदालतों को मिलने वाली लंबी छुट्टी न्याय चाहने वालों के लिए बहुत सुविधाजनक नहीं है.”
यह देश के नागरिकों का मौलिक अधिकार : सुप्रीम कोर्ट...
वहीं, शुक्रवार को सीजेआई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया. यह कहते हुए कि सुप्रीम कोर्ट अपनी विशेष संवैधानिक शक्तियों के उल्लंघन में काम करेगी, यदि यह उल्लंघन से संबंधित मामलों में कार्रवाई नहीं करती है. यह देश के नागरिकों का मौलिक अधिकार है. पीठ ने बिजली अधिनियम के तहत 9 मामलों में 18 साल की जेल की सजा भुगत रहे एक व्यक्ति की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए पूछा, “हम यहां क्यों हैं अगर हम अपने विवेक की नहीं सुनते हैं?”
भारत के संविधान के लिए कॉलेजियम सिस्टम 'एलियन': कानून मंत्री...
इससे पहले कानून मंत्री ने कॉलेजियम सिस्टम पर कई सवाल खड़े किए थे. कानून मंत्री रिजिजू ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि भारत के संविधान के लिए कॉलेजियम सिस्टम ‘एलियन’ की तरह है. उन्होंने यह भी कहा, “सरकार इस कॉलेजियम सिस्टम का सम्मान करती है, क्योंकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के मुताबिक कोई भी न्यायपालिका का अपनाम नहीं कर सकता है.” इस दौरान कानून मंत्री ने यह भी दावा किया, “सुप्रीम कोर्ट ने अपने विवेक से एक सुनवाई के दौरान कॉलेजियम सिस्टम को बनाया है.”
कॉलेजियम सिस्टम देश का कानून: सुप्रीम कोर्ट...
कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सरकार के इस बयान का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, “कॉलेजियम सिस्टम देश का कानून है. सभी को इसका पालन करना होगा. समाज के कुछ लोगों के विरोध के कारण इसे कानून नहीं मानना सही नहीं है.” साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को कहा, “संविधान पीठ के फैसले के बाद कॉलेजियम सिस्टम बना है और इसका पालन करना ही होगा।”