बस्तर में विकास की मिसाल बनी साय सरकार, अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंच रहा है लाभ…

रायपुर. समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति का विकास ही दरअसल सच्चा विकास होता है। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने इस तथ्य को पूरी गहराई से समझा और वास्तविकता की धरातल में वो करके भी दिखा रहे हैं। राज्य में बस्तर जैसे पिछड़े और सुदूर क्षेत्रों में हो रहे विकास ने देश के अन्य राज्यों को भी चमत्कृत कर दिया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर क्षेत्र में जो चौतरफ़ा सुधार हो रहे हैं वो एक मिसाल बन रहा है। बस्तर में हो रहे इन सुधारों से वहाँ की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति में बहुत सुधार आया है।
मुख्यमंत्री की जनकल्याणकारी नीतियों और योजनाओं से अब बस्तर की आम जनता तेजी से विकास की मुख्यधारा से जुड़ रही है। राज्य के साय सरकार की सक्रियता और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से बस्तर के सुदूर क्षेत्रों में भी विश्वास और उम्मीद की नई किरण दिखाई दे रही है। बस्तर संभाग के कोने-कोने तक सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचने लगी है।
पूरी सफलता के साथ ये कोशिश की जा रही है कि सरकार की हर योजना का लाभ पात्र हितग्राहियों तक पहुंच जाए। मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम जनमन, आयुष्मान भारत, पीएम किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना, आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसी योजनाओं से बस्तर के सुदूर अंचलों तक सरकार की उपस्थिति मजबूत हुई है और आमजन का सामाजिक और आर्थिक स्तर पर सशक्तिकरण हुआ है।

बस्तर में समग्र विकास की दिशा में ठोस पहल
जनवरी 2025 में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बस्तर जिले में 356 करोड़ रुपए की लागत से 288 विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन किया। इनमें शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए अमृत मिशन के तहत 50 करोड़ रुपए की घोषणा भी शामिल है। मुख्यमंत्री साय ने बस्तर क्षेत्र में 500 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की घोषणा की, जिनमें सड़क, परिवहन, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 15,000 नए आवासों की स्वीकृति दी गई है, जिससे आवासहीन परिवारों को स्थायी निवास उपलब्ध कराया जा रहा है। संभाग में सिंचाई साधनों की समस्या को दूर करने और चहुमुखी विकास को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार 49000 करोड़ रूपए की अनुमानित लागत से बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना और इंद्रावती-महानदी लिंक परियोजना पर काम कर रही है।
बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना से 125 मेगावाट का विद्युत् उत्पादन, 4824 टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन जैसे अतिरिक्त रोजगार, खरीफ एवं रबी मिलाकर 3,78,475 हेक्टेयर में सिंचाई विस्तार एवं 49 मि.घ.मी पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगा। वही इंद्रावती- महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना से कांकेर जिले की भी 50,000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सहित कुल 3,00,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
बस्तर को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में दोनों परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम साबित होने वाला है। बोधघाट बांध परियोजना से बस्तर संभाग के बीजापुर और सुकमा जिले के 269 गांवों को और इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना से कांकेर जिले के अनेकों गांवों को भरपूर लाभ होगा।