मोदी-योगी का नाम लो, नहीं तो पिटाई’: साध्वी प्रज्ञा का सनसनीखेज आरोप…

2008 के चर्चित मालेगांव बम धमाका मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष ठोस सबूत पेश करने में असफल रहा।
प्रताड़ना के गंभीर आरोप...
फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में चौंकाने वाले आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। “मुझ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, मोहन भागवत, और राम माधव जैसे नेताओं के नाम लेने का दबाव बनाया गया,” उन्होंने कहा।
“फेफड़े की झिल्ली फटी, अस्पताल में रखा गया”
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, “टॉर्चर इतना गंभीर था कि मेरी फेफड़ों की झिल्ली फट गई और मैं बेहोश हो गई। इसके बाद मुझे अस्पताल में गैर-कानूनी रूप से रखा गया। मुझसे झूठ बुलवाने की कोशिश की गई, लेकिन मैंने किसी निर्दोष व्यक्ति का नाम नहीं लिया।”
“यह हिंदुत्व और सत्य की जीत है”
कोर्ट के फैसले को साध्वी प्रज्ञा ने सनातन और हिंदुत्व की जीत बताया। उनका कहना है, “इस राष्ट्र की आत्मा सनातन है, और सनातन को मिटाने की जो कोशिश की गई, वह विफल हुई। हम सत्य के पक्षधर हैं और उसे ही दुनिया के सामने लाएंगे।”
पुलिस अधिकारियों पर भी आरोप...
उन्होंने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह, हेमंत करकरे और सुखविंदर सिंह जैसे अधिकारियों पर गैरकानूनी तरीके से बयान लेने, प्रताड़ित करने और झूठे सबूत गढ़ने का आरोप लगाया। साध्वी ने कहा, “इन अधिकारियों को दंड मिलना चाहिए, हम इसके लिए आगे कानूनी कदम उठाएंगे।”
कोर्ट ने क्या कहा?
29 सितंबर 2008 को हुए इस धमाके में 6 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। केस की जांच के दौरान जिस मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ, उसे प्रज्ञा ठाकुर का बताया गया था। लेकिन अदालत ने पाया कि बाइक का चेसिस नंबर मिटा हुआ था और यह प्रमाण नहीं था कि वह वाहन प्रज्ञा की ही थी।