छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: कैसे अनवर ढेबर और अफसरों ने मिलकर खड़ा किया हजारों करोड़ का सिंडिकेट, 22 अधिकारी हुए सस्पेंड…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए बहुचर्चित शराब घोटाले की परतें अब धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं। EOW द्वारा दाखिल चार्जशीट के अनुसार, शराब डिस्टलर्स से कमीशन और नकली होलोग्राम के जरिए की गई शराब बिक्री से होने वाली कमाई का 15 प्रतिशत हिस्सा कारोबारी अनवर ढेबर को जाता था। यह रकम अनवर अपने करीबी विकास अग्रवाल और सुब्बू के माध्यम से वसूलता था, जो राज्यभर की दुकानों से पैसा इकट्ठा करते थे।
शुरुआत: कैसे बना सिंडिकेट...
फरवरी 2019 में रायपुर के होटल वेनिंगटन में हुई एक गोपनीय मीटिंग में इस घोटाले की नींव रखी गई। कारोबारी अनवर ढेबर ने इस बैठक में प्रमुख डिस्टलरी मालिकों को बुलाया, जिनमें शामिल थे।
- नवीन केडिया (छत्तीसगढ़ डिस्टलरी)
- भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया व प्रिंस भाटिया (भाटिया वाइंस प्रा. लि.)
- राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू, हीरालाल जायसवाल (वेलकम डिस्टलरी)
- संजय फतेहपुरिया (नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी)
इस बैठक में तत्कालीन आबकारी निगम के MD एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह भी मौजूद थे। यहीं तय किया गया कि डिस्टलरी से सप्लाई होने वाली शराब पर प्रति पेटी कमीशन लिया जाएगा। बदले में रेट बढ़ाने और ओवर-बिलिंग की छूट का आश्वासन मिला।






A, B और C कैटेगरी में बंटा घोटाला…
A: डिस्टलरी से लिया गया कमीशन...
- प्रति पेटी 75 से 100 रुपए का कमीशन लिया गया।
- नुकसान से बचाने के लिए नई टेंडर पॉलिसी में शराब के रेट बढ़ाए गए।
- सामान की खरीद में ओवरबिलिंग की छूट दी गई।
B: नकली होलोग्राम वाली शराब की बिक्री...
- डिस्टलरी में जरूरत से ज्यादा शराब बनवाई गई।
- नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बेची गई।
- होलोग्राम सप्लाई के लिए विधु गुप्ता को जिम्मेदारी दी गई।
- खाली बोतलों और नकली शराब के ट्रांसपोर्ट की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और अमित सिंह को सौंपी गई।
- शराब 15 जिलों में बिना शुल्क चुकाए बेची गई।
- शुरू में MRP ₹2880 प्रति पेटी थी, जिसे बाद में ₹3840 कर दिया गया।
- जांच में सामने आया कि 40 लाख पेटियों की अवैध बिक्री हुई।
C: सप्लाई जोन में हेराफेरी से उगाही...
- राज्य को 8 जोनों में बांटा गया।
- हर जोन में डिस्टलरी का चयन कमीशन के आधार पर हुआ।
- सप्लाई डेटा को मैनेज कर पैसे वसूले गए।
- केवल देसी शराब के जरिए 52 करोड़ रुपये की उगाही हुई।
मुख्य आरोपी और गिरफ्तारियां...
जांच में सामने आया कि यह पूरा घोटाला IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी एपी त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर के गठजोड़ से चला। अब तक मामले में 13 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें प्रमुख नाम हैं।
ED और EOW की संयुक्त जांच...
- कवासी लखमा (पूर्व आबकारी मंत्री)
- अरुणपति त्रिपाठी
- अनवर ढेबर
- अरविंद सिंह
- अमित सिंह
- त्रिलोक सिंह ढिल्लन
- अनुराग द्विवेदी
- दिलीप टुटेजा
- दीपक दुआरी
- सुनील दत्त
ईडी ने इस मामले में ACB में FIR दर्ज कराई है, जिसमें 2000 करोड़ से अधिक के घोटाले की बात कही गई है। अब विदेशी शराब से जुड़े कमीशन की भी जांच जारी है।