SIR अभियान से बढ़ती मौतें: 19 दिन में 15 बीएलओ की गई जान, आत्महत्या और मौतों से आयोग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

नई दिल्ली. देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन अभियान के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों की लगातार मौत और आत्महत्या के मामले गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं। पिछले 19 दिनों में छह राज्यों से कुल 15 बीएलओ की मौत की पुष्टि हुई है। इस मुद्दे पर राजनीतिक विवाद भी तेज हो गया है। पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने बीएलओ की मौतों के लिए एसआईआर प्रक्रिया को जिम्मेदार ठहराते हुए चुनाव आयोग की आलोचना की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बीएलओ के आत्महत्या मामलों पर चिंता व्यक्त की है।
जानकारी के अनुसार 21 से 22 नवंबर के बीच मध्य प्रदेश में दो बीएलओ की बीमारी के कारण मौत हुई। दोनों को हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। वहीं पश्चिम बंगाल में एक महिला बीएलओ ने आत्महत्या कर ली। मृतकों के परिजनों ने अत्यधिक कार्यभार और लक्ष्य पूरा करने के दबाव को मौत का कारण बताया है।
निर्वाचन आयोग की शनिवार को जारी रिपोर्ट में बताया गया कि बड़े राज्यों में राजस्थान 60.54 प्रतिशत फॉर्म के डिजिटलाइजेशन के साथ पहले स्थान पर है, जबकि केरल में मात्र 10.58 प्रतिशत फॉर्म डिजिटल हो पाए हैं। कुल 98.98 प्रतिशत फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं।
पश्चिम बंगाल में नदिया जिले में बीएलओ रिंकू का शव घर में फंदे से लटका मिला। सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। राज्य में एसआईआर से जुड़ा यह दूसरा आत्महत्या और तीसरी मौत का मामला है। राजस्थान में जयपुर के बीएलओ मुकेश जांगिड़ ने ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी। करौली और सवाई माधोपुर में भी बीएलओ की मौत और बीमार होने के मामले सामने आए।
गुजरात में पिछले चार दिनों में चार बीएलओ की मौत हुई है। अहमदाबाद में फारूक और दाहोद में बचूभाई की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
मध्य प्रदेश के रायसेन में बीएलओ रमाकांत पांडे की शनिवार को मौत हुई। परिजनों के अनुसार वह कई दिनों से बिना आराम लगातार काम कर रहे थे। दमोह जिले में बीएलओ सीताराम गोंड की भी फॉर्म भरते समय तबीयत बिगड़ने से उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। रायसेन जिले के बीएलओ नारायण सोनी छह दिनों से लापता हैं। परिजनों का कहना है कि कार्यभार, मीटिंग के दबाव और निलंबन की चेतावनियों से वे तनाव में थे। भोपाल में भी ड्यूटी के दौरान दो बीएलओ की तबीयत बिगड़ी और उन्हें हार्ट अटैक आया।
इन घटनाओं के बाद एसआईआर प्रक्रिया को लेकर कई राज्यों में गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।



