झारखंड में मनरेगा पर सवाल: पंजीकरण बढ़ा, रोजगार घटा

झारखंड मनरेगा रोजगार से जुड़े हालिया आंकड़े योजना की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। लिव-टेक इंडिया, नरेगा वॉच और भोजन का अधिकार अभियान ने केंद्र सरकार के डाटा का हवाला देते हुए बताया है कि जहां एक ओर पंजीकरण में वृद्धि हुई है, वहीं रोजगार और मानव दिवस में गिरावट दर्ज की गई है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में मनरेगा में पंजीकृत परिवारों की संख्या में 5.3% की वृद्धि देखी गई, लेकिन इसमें भागीदारी 7.4% और 9.7% तक घट गई। सबसे चिंताजनक बात यह है कि मानव दिवस में 8% की गिरावट आई, जो राष्ट्रीय औसत 6.9% से भी ज्यादा है। यानी लोग काम के लिए तो आगे आ रहे हैं, लेकिन उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है।
100 दिन रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या में भी 18% की गिरावट आई, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये गिरावट 9.3% रही। जिला स्तर पर भी गिरावट देखने को मिली, खासकर साहिबगंज, जामताड़ा, रामगढ़ और लोहरदगा में मानव दिवस में भारी कमी दर्ज की गई।
नरेगा वॉच के जेम्स हेरेंज का कहना है कि समय पर भुगतान नहीं होने, जटिल प्रक्रियाओं और ग्राम सभा की भागीदारी के अभाव के चलते मजदूरों में योजना के प्रति विश्वास कम हो रहा है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता बलराम ने कहा कि संपन्न लोग भी मनरेगा का गलत फायदा उठा रहे हैं और व्यक्तिगत संपत्ति बना रहे हैं।
मनरेगा आयुक्त मृत्युंजय कुमार वर्णवाल ने तर्क दिया कि चुनाव और हड़ताल की वजह से काम प्रभावित हुआ, लेकिन इस साल 12 करोड़ मानव दिवस का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें शुरुआती तीन महीनों में अच्छी प्रगति हुई है।