राजनीति ने गिरवी रख दिया छत्तीसगढ़ी गौरव
रा यपुर : 22 वर्ष हों गए छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुए सत्ता की बागडोर राजनैतिक स्थिरता के साथ दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के हांथो में रही ।छत्तीसगढ़ का विकास भी हुआ । पर राजनितिक रूप से छत्तीसगढ़ को न तो केन्द्रीय मंत्रिमंडल में उचित स्थान मिला और ना राज्य की वर्तमान सरकार जो छत्तीसगढ़ी अस्मिता के लिए समर्पित होने का दावा करती है । छत्तीसगढ़ के हितों का पूर्वता संवर्धन कर पा रही है ।
राज्यसभा के सांसद बाहरी चुने गए दिल्ली ,बिहार के नेताओं को छत्तीसगढ़ीयों का हक़ मारकर सांसद बनाया गया ।पर इनमें से कोंई न छत्तीसगढ़ में दिखता है न ही समर्पित है हद तो ये है की ये तीनों रंजीता रंजन ,राजीव शुक्ला और के टी एस तुलसी राज्योत्सव से भी गायब है । यदि ये छत्तीसगढ़ का सम्मान नही कर सकते यंहा आ नही सकते तो फिर इनका राज्यसभा सांसद चुना जाना कितना सही है । छत्तीसगढ़ के लालों का हक़ आखिर मारा क्यों गया ? लापता सांसद का पता आखिर कौन बतायेगा ?
छत्तीसगढ़ी संस्कृति में रचने बसने की कसमे खाने वाले ये गैर छत्तीसगढ़िया सांसद छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव का छत्तीसगढ़ महतारी का छत्तीसगढ़ की जनता का अपमान कर रहे है । जनप्रतिनिधि तो है ये छत्तीसगढ़ के कहने के देश विदेश घूम रहे पर राज्य उत्सव में भागीदारी के लिए इनके पास वक्त नही । यदि इनके पास छत्तीसगढ़ के लिए वक्त नही है तों क्या ये हमारे जनप्रतिनिधि है ? जिन विधायकों ने इन्हें चुना है क्या वों बताएँगे क्या वों छत्तीसगढ़ का भला कर रहे है ? क्यों छत्तीसगढ़ से इतनी दुरी बनाकर चल रहे है । छत्तीसगढ़ की जनता को यदि इनसे मिलना हों जनसमस्या का निवारण करवाना हों तों ये छत्तीसगढ़ के किस पते पर मिलेंगे ?क्या छत्तीसगढ़ के जनता के द्वारा चुने गए विधायक राज्यसभा सांसद चुनते वक्त छत्तीसगढ़ी गौरव को गिरवी रख देते है ।