प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना से बदली खेती की तस्वीर, बढ़ी पैदावार और आमदनी

बलरामपुर-रामानुजगंज। प्रधानमंत्री सूक्ष्म कृषि सिंचाई योजना ने जिले के किसानों की किस्मत बदल दी है। कभी जहां जिले में ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई का क्षेत्र मात्र 5 हेक्टेयर तक सीमित था, वहीं अब यह बढ़कर 325 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। शासन के निरंतर प्रयासों और किसानों की जागरूकता के चलते अब तक 419 किसान इस योजना का लाभ ले चुके हैं।
55 प्रतिशत सब्सिडी पर मिल रही आधुनिक सिंचाई सुविधा...
सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत किसानों को 55 प्रतिशत सब्सिडी पर ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणाली उपलब्ध कराई जा रही है। इसी योजना से लाभान्वित हुए हैं वाड्रफनगर ब्लॉक के ग्राम शारदापुर निवासी दीपक पटवा, जिन्होंने ड्रिप विधि अपनाकर खेती की दिशा ही बदल दी।
दीपक पटवा बताते हैं कि पहले वे केवल बारिश के मौसम में धान की खेती करते थे। जिससे साल में सिर्फ एक बार ही आमदनी होती थी। लेकिन उद्यान विभाग से संपर्क करने के बाद जब उन्होंने अपने खेतों में ड्रिप सिस्टम लगवाया, तो न केवल उत्पादन बढ़ा बल्कि सालभर में तीन फसलें लेने लगे।
कम लागत में ज्यादा मुनाफा...
दीपक के अनुसार, एक एकड़ खेत में ड्रिप सिस्टम लगाने में लगभग 66 हजार रुपये का खर्च आता है, जिसमें उद्यान विभाग 55% सब्सिडी देता है। वे बताते हैं कि ड्रिप सिस्टम से खाद और पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है, जिससे श्रम लागत घटती है और फसल की गुणवत्ता बढ़ती है। अब वे हर साल प्रति एकड़ लगभग 3 लाख रुपये की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।

तीन फसलों से बढ़ी खुशहाली...
ड्रिप सिंचाई से खेतों की नमी संतुलित रहती है, जिससे साल में तीन फसलें लेना संभव हो पाता है। दीपक बताते हैं कि अब वे टमाटर, मिर्च और धनिया जैसी फसलें भी सफलतापूर्वक ले रहे हैं।
जल संरक्षण और उत्पादकता में सुधार...
प्रधानमंत्री सूक्ष्म कृषि सिंचाई योजना का मुख्य उद्देश्य जल उपयोग दक्षता बढ़ाना और अपव्यय रोकना है। ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि से पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है, जिससे न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों में सुधार आता है।
किसानों की समृद्धि की ओर कदम...
जिले के किसान अब इस योजना के माध्यम से आधुनिक सिंचाई तकनीक अपना रहे हैं और समृद्धि की ओर अग्रसर हैं।
यह योजना साबित कर रही है कि अगर सही तकनीक और सरकारी सहयोग मिले, तो कृषि क्षेत्र में जलवायु संकट और जल की कमी जैसी चुनौतियों से भी निपटा जा सकता है।



