प्लेसमेंट कंपनी की नई पॉलिसी, पैसे दो नौकरी लो…

रायपुर। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद आबकारी विभाग कीसहकर्मी संस्था (शराब दुकानों में लड़कों की नियुक्ति, पैसों का कलेक्शन करने वाली कंपनी) भी बदल गई। कांग्रेस सरकार में इस कार्य के लिए A2Z कंपनी को इसका जिम्मा सौंपा गया था लेकिन राज्य में सत्ता के उलटफेर के बाद इस कंपनी का टेंडर खत्म हुआ और विभागीय सूत्रों की माने तो कंपनी के गड़बड़ घोटालों को देखते हुए इसे विभाग द्वारा ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। इस कंपनी के जाते ही फिर से इस कार्य के लिए नई टेंडर प्रक्रिया निकल गई जिसके बाद A2Z कंपनी की जगह BIS (बॉम्बे इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी इंडिया लिस्टेड) कंपनी ने इसका कार्यभार संभाला।
कंपनी तो बदल गई लेकिन कार्य करने का तरीका नहीं बदला पिछली कंपनियों में हुए गड़बड़ घोटालों को देखते हुए आबकारी सचिव आर संगीता ने कई ने कड़े नियम बनाए जिसमें बायोमेट्रिक अटेंडेंस को भी लागू किया गया जिसका मतलब अब शराब दुकानों में कार्यरत सभी कर्मचारियों को बायोमेट्रिक सिस्टम के जरिए अपना अटेंडेंस दर्ज करना होगा। विभागीय सूत्र बताते हैं कि पिछली कंपनी में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम नहीं होने की वजह से ही कई बड़े गड़बड़ घोटाले भी हुए थे, इसके साथ ही दुकानों में कार्यरत कर्मचारी की सैलरी में भी कई बड़े घोटाले हुए। जिसे देखते हुए आबकारी सचिव आर संगीता द्वारा बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम के नियम को लाया गया और राज्य में इसका कड़ाई से पालन भी किया जा रहा है।
लेकिन बात यहीं पर नहीं होती है। कहते हैं कि एक रास्ता बंद होता है तो कमाई के कई रास्ते कई ने जरिए खुल जाते हैं। नाम ना उजागर करने की एवज में शराब दुकान में कार्यरत कई कर्मचारियों ने हमें यह बताया की शराब दुकान में कार्य करने के लिए उनको अपने जेब से मोटी रकम चुकानी पड़ी। वहीं विभाग के कुछ अधिकारियों ने यह भी जानकारी दी की शराब दुकान में लड़कों की नियुक्ति का पूरा कार्यभार आबकारी उपायुक्त विकास गोस्वामी ने अपने कंधों पर ले रखा है बता दें कि लड़कों की नियुक्ति का जिम्मा पहले सिर्फ कंपनी के अधीनस्थ होता था लेकिन अब आबकारी उपायुक्त की मर्जी के बिना कंपनी किसी भी लड़के को दुकानों में कार्य करने के लिए अपनी मर्जी से नियुक्त नहीं कर सकती।
वही जब इन सब मामलों की सत्यता जान ने के लिए हमने आबकारी उपायुक्त विकास गोस्वामी से मिलने की कोशिश की और उनसे मिलने का समय भी मांगा तो अधिकारी जी द्वारा हमें हर बार एक नई तारीख ही दी गई। मुलाकात कभी नहीं की गई। अब ऐसे में यहां पर समझना मुश्किल है की अधिकारी जी किसी को बचाने की कोशिश की जद्दोजहद में लगे हैं या खुद ही मीडिया के कैमरे से बच रहे।