पाकिस्तान में घुसकर 300 किमी तक हमला – जानिए ऑपरेशन सिंदूर की पूरी कहानी…

नई दिल्ली। थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को शतरंज की चालों जैसा बताया, जिसमें भारतीय सेना ने रणनीतिक कौशल से दुश्मन को घुटनों पर ला दिया। उन्होंने बताया कि इस विशेष अभियान के लिए सेना को राजनीतिक नेतृत्व से पूर्ण स्वतंत्रता मिली थी। यह खुलासा उन्होंने 9 अगस्त को आईआईटी मद्रास में भारतीय सेना के रिसर्च सेल ‘अग्निशोध’ के उद्घाटन समारोह में किया।
जनरल द्विवेदी के मुताबिक, यह एक ग्रे जोन ऑपरेशन था—जहां न तो दुश्मन की अगली चाल का अंदाज़ा था, न ही भारत की प्रतिक्रिया तय। “हम उन्हें शह और मात दे रहे थे, और ज़रूरत पड़ने पर जोखिम भी उठा रहे थे,” उन्होंने कहा।
पहलगाम हमले से शुरू हुआ अभियान...
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी। घटना से देशभर में आक्रोश फैल गया। अगले ही दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना प्रमुखों की बैठक में निर्णायक कार्रवाई का फैसला हुआ। रक्षा मंत्री ने साफ कहा—“बस, बहुत हो गया,” और सेना को फ्री हैंड दे दिया कि वे खुद तय करें क्या करना है।
72 घंटे में तबाह किए आतंकी ठिकाने...
25 अप्रैल को उत्तरी कमान ने 9 में से 7 तय लक्ष्यों पर कार्रवाई की और उन्हें तबाह कर दिया। इन हमलों में कई आतंकवादी मारे गए। सेना प्रमुख ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर, 2016 के उरी और 2019 के बालाकोट हमलों से बिल्कुल अलग था। इस बार दुश्मन के इलाक़े में गहराई तक जाकर ‘नर्सरी’ और ‘मास्टर्स’ कोडनेम वाले ठिकानों को निशाना बनाया गया। इनमें से 5 लक्ष्य पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में और 4 पंजाब में थे। दो मिशन भारतीय वायुसेना के साथ मिलकर अंजाम दिए गए।
88 घंटे में पाकिस्तान ने मांगी युद्धविराम की भीख...
जनरल द्विवेदी के अनुसार, यह ऑपरेशन इतना प्रभावी रहा कि 88 घंटे के भीतर पाकिस्तान को संघर्षविराम की अपील करनी पड़ी। इस दौरान भारतीय सेना ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल के ठिकानों को तबाह किया। वायुसेना प्रमुख के मुताबिक, 5 पाकिस्तानी लड़ाकू विमान मार गिराए गए और भारतीय सेना ने 300 किलोमीटर अंदर तक वार किया।