सावन के चौथे सोमवार पर भगवान महाकाल ने चार रूपों में दिए दर्शन…

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर(Mahakaleshwar Temple Ujjain) में सावन के चौथे सोमवार (4th Monday of Sawan month) पर तड़के 2.30 बजे पट खोल दिए गए। यहां दर्शन के लिए रात से ही श्रद्धालु लाइन (mahakal devotees) में खड़े नजर आए। सबसे पहले बाब महाकाल (mahakal) का जलाभिषेक किया गया। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से तैयार पंचामृत से बाबा का अभिषेक और पूजन किया गया।
अभिषेक के बाद बाबा महाकाल के मस्तक पर चंद्रमा अर्पित कर उनका राजा स्वरूप में अद्भुत श्रृंगार किया गया। फिर महाकाल को भस्म चढ़ाई गई। यही वो समय होता है, जिसका श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार होता है। बाबा महाकाल की भस्म आरती के दर्शन (Bhasm Aarti Darshan) हर कोई करना चाहता है। खुशी की बात ये है कि इस बार सावन के महीने में हर श्रद्धालु को भस्म आरती के दर्शन कराए जा रहे हैं। सावन के चौथे सोमवार पर अल सुबह भस्म आरती में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।
भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया। उन्हें शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल, रुद्राक्ष की माला पहनाकर राजा स्वरूप में भव्य श्रृंगार किया गया। इसके बाद सुंगधित पुष्प माला धारण कराई गई। इसके बाद महाकाल की विशेष आरती की गई।




इस विशेष आरती के बाद भगवान महाकाल नगर भ्रमण पर निकले. उन्होंने चार रूपों में प्रजा को दर्शन दिए. भगवान महाकाल की चौथी सवारी में अलग-अलग रंग देखने को मिलेI पालकी में चन्द्रमोलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, बैलगाडी में गरूड पर शिवतांडव और बैलगाडी में नंदी पर उमा-महेश के स्वरूप में विराजमान होकर भगवान महाकाल प्रजा का हाल जानने निकलेI
महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र जवानों ने पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी. भगवान महाकाल की सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंचीI रामघाट पहुंचने पर मां शिप्रा के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक किया गया. अभिषेक के बाद विधिवित पूजा अर्चना की गयीI





भगवान महाकाल की सवारी रामानुजकोट, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई दोबारा महाकालेश्वर मंदिर पहुंचीI सीधी से आज जनजातीय कलाकारों की लोक नृत्य घसिया बाजा की अद्भुत प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोहाI जनजातीय कलाकारों ने बंडी, पजामा, कोटी, वेषभूषा धारण कर गुदुम बाजा, डफली, शहनाई, टिमकी, मांदर, घुनघुना वाद्य यंत्र पर अद्भुत प्रस्तुति दीI
पालकी में सवार नगर भ्रमण पर निकले भगवान महाकाल का शिव भक्तों ने स्वागत किया. भगवान महाकाल के सवारी मार्ग पर फूलों की बरसात की गयीI कई जगहों पर भगवान महाकाल की पालकी रोककर आरती उतारी गयी. शिव भक्त भगवान महाकाल की एक झलक पाने को बेताब दिखेI