‘नवाँ बाट’ से नई राह पर लौट रहे नक्सली युवा, पुनर्वास नीति से मिल रहा सम्मानजनक जीवन का अवसर

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में सरकार की संवेदनशील पुनर्वास नीति ने नक्सल प्रभावित इलाकों में नई उम्मीद जगाई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में शासन द्वारा अपनाई गई इस नीति के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में पूर्व माओवादी युवा अब शांति और आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हैं।
इसी पहल के अंतर्गत बस्तर जिले के आड़ावाल स्थित “नवाँ बाट” पुनर्वास केंद्र में कुल 69 आत्मसमर्पित नक्सली युवाओं को आजीविका आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें 23 महिलाएँ और 12 पुरुष आरएसईटीआई (RSETI) के माध्यम से बकरी पालन, फिनाइल और डिटर्जेंट निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। वहीं, 34 पुरुष लाभार्थियों को ग्रामीण राजमिस्त्री के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे मुख्यधारा में लौटकर सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकें।

आज बस्तर के संभागायुक्त डोमन सिंह ने “नवाँ बाट” पुनर्वास केंद्र का निरीक्षण किया। उन्होंने प्रशिक्षण की प्रगति, आवासीय सुविधाएँ, भोजन, स्वास्थ्य परीक्षण और सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा की तथा अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह पहल केवल पुनर्वास नहीं बल्कि विश्वास और बदलाव की प्रक्रिया है, जो बस्तर में स्थायी शांति स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।
“नवाँ बाट” — जिसका गोंडी भाषा में अर्थ है “नई राह” — वास्तव में इस केंद्र की भावना को व्यक्त करता है। यहाँ आत्मसमर्पित नक्सली युवा अब समाज की मुख्यधारा से जुड़कर एक नई पहचान और नया भविष्य गढ़ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ शासन की इस पहल ने यह साबित किया है कि जब अवसर, सहयोग और सम्मान साथ मिलता है, तो भटके कदम भी विकास और शांति की राह पर लौट आते हैं।