मनरेगा से बदली किसान की किस्मत: कृषि तालाब बना रोज़गार और आमदनी का साधन

बलौदाबाजार-भाटापारा। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ग्रामीण अंचलों के लिए सिर्फ रोजगार का साधन ही नहीं, बल्कि स्थायी परिसंपत्तियों के निर्माण और आजीविका का नया रास्ता भी बन रहा है। इसका एक उदाहरण देखने को मिला है विकासखंड सिमगा के ग्राम अडबंधा में, जहां मनरेगा से बना कृषि तालाब किसान सोमित साहू की जिंदगी बदल रहा है।
600 वर्गमीटर में बना तालाब...
ग्राम अडबंधा में करीब ढाई लाख रुपये की लागत से लगभग 600 वर्गमीटर क्षेत्रफल में मनरेगा के तहत पहला कृषि तालाब बनाया गया। इस काम की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को ही दी गई थी। तालाब के निर्माण से न केवल जल संचयन हो रहा है, बल्कि गांव के अन्य किसान भी अब कृषि तालाब निर्माण में रुचि दिखा रहे हैं।
सिंचाई और मछली पालन से बढ़ी आय...
किसान सोमित साहू ने बताया कि पहले जीविकोपार्जन के साधन सीमित थे और परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। लेकिन तालाब बनने के बाद अब फसलों की सिंचाई सुचारु हो रही है और साथ ही तालाब में मछली पालन से अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है। इससे उनके परिवार की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
किसान की ज़िंदगी में आया बदलाव...
सोमित साहू का कहना है कि मनरेगा से निर्मित तालाब ने उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाया है। अब उन्हें रोज़गार की तलाश में भटकना नहीं पड़ता, बल्कि खेती और मछली पालन से ही स्थायी आमदनी हो रही है।