राज्यसभा में मर्यादा और संविधान सर्वोपरि रहेंगे: नए सभापति सीपी राधाकृष्णन का संदेश

नई दिल्ली। राज्यसभा के नए सभापति सीपी राधाकृष्णन ने सदन में अपने पहले दिन ही स्पष्ट कर दिया कि उच्च सदन में मर्यादा, अनुशासन और संवैधानिक प्रावधान सर्वोपरि होंगे। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि राज्यसभा केवल बहस का मंच नहीं, बल्कि वह स्थान है जहां देश के करोड़ों नागरिकों की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं प्रतिबिंबित होती हैं। इसलिए संसदीय व्यवस्था की सीमा-रेखा को समझना और उसका पालन करना सभी सदस्यों की जिम्मेदारी है।
राधाकृष्णन ने कहा कि भारत का संविधान और राज्यसभा की नियमावली संसदीय आचरण की स्पष्ट सीमा तय करती है। उन्होंने कहा कि सभापति और सभी सदस्य इन नियमों के अंतर्गत अपनी जिम्मेदारियां निभाएं, यही संसदीय गरिमा को बनाए रखने का मार्ग है। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रत्येक सदस्य को बोलने का पूरा अवसर मिलेगा, लेकिन यह अवसर वही उपयोग कर पाएंगे जो निर्धारित नियमों के भीतर अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि व्यापक विधायी कार्यसूची और सीमित समय इस सत्र की प्रमुख चुनौतियां होंगी, जिनके लिए सामूहिक सहयोग की आवश्यकता है।
अपने पहले संबोधन में सभापति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी सदस्यों का धन्यवाद किया जिन्होंने शीतकालीन सत्र के पहले दिन उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इसे सम्मान के साथ बड़ी जिम्मेदारी का क्षण बताया और उम्मीद जताई कि सभी सदस्य मिलकर सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग देंगे।
राधाकृष्णन ने कहा कि प्रश्नकाल, शून्यकाल और विशेष उल्लेख जैसे संसदीय प्रावधान सभी सांसदों को अपनी बात रखने और जनता की समस्याएं उठाने का पर्याप्त मंच प्रदान करते हैं। उन्होंने आग्रह किया कि इन प्रक्रियाओं का रचनात्मक और जिम्मेदार उपयोग किया जाए, ताकि लोकतंत्र और अधिक सुदृढ़ हो सके।



