La Nina effect: अगले तीन महीने उत्तर भारत के लिए कठिन, पड़ेगी कड़ाके की सर्दी, दिसंबर में भारी बारिश की चेतावनी
दिल्ली। मौसम विभाग ने इस बार सर्दी के मौसम को लेकर एक बड़ी चेतावनी जारी की है। IMD के अनुसार, इस बार उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी का सामना करना पड़ सकता है। अगले तीन महीने उत्तर भारत के लिए कठिन होंगे, जिसमें तापमान तेजी से गिर सकता है, और सर्द हवाओं के साथ कोहरा भी व्यापक रूप से छा सकता है। इसका प्रमुख कारण ‘ला नीना’ प्रभाव है, जो न सिर्फ उत्तर भारत बल्कि दक्षिण भारत समेत पूरे देश में महसूस किया जाएगा।
ला नीना प्रभाव क्या है?
ला नीना, अल-नीनो सर्दन ऑसिलिएशन (ENSO) प्रक्रिया का हिस्सा है, जो प्रशांत महासागर में होती है। जहां अल-नीनो के कारण भारत समेत अन्य देशों में सूखा और अन्य कठिनाइयां आती हैं, वहीं ला नीना एशियाई देशों के लिए लाभकारी मानी जाती है। जब प्रशांत महासागर ठंडा होता है, तो ला नीना प्रभाव उत्पन्न होता है, जो न सिर्फ मानसून को मजबूत करता है, बल्कि सर्दी भी ज्यादा पड़ती है।
तीन महीने तक रहेगा असर
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, इस बार ला नीना अक्टूबर से सक्रिय हो चुका था और यह प्रभाव दिसंबर से फरवरी तक अपने चरम पर होगा। इस दौरान, भारत में ला नीना का 60 प्रतिशत प्रभाव महसूस किया जाएगा।
कौन से राज्य होंगे प्रभावित?
उत्तर भारत
ला नीना के कारण उत्तर भारत में सर्दी का दौर तेज होगा। प्रशांत महासागर से आने वाली ठंडी हवाएं तापमान को गिरा सकती हैं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पारा 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, जिससे भारी बर्फबारी की संभावना है। इसका असर उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश के मैदानी इलाकों में भी पड़ सकता है।
दक्षिण भारत
ला नीना प्रभाव से उत्तर-पूर्वी मानसून को मजबूती मिली है, जिसके कारण अक्टूबर से दिसंबर के बीच दक्षिण भारत में भारी बारिश हो सकती है। तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में तेज बारिश हो सकती है, और बंगाल की खाड़ी में चक्रवात बनने की संभावना है। फेंगल चक्रवात इसका एक उदाहरण है। भारी बारिश के कारण दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
नॉर्थ-ईस्ट और पूर्वी भारत
ला नीना के कारण उत्तर-पूर्वी और पूर्वी भारत के राज्यों में अच्छी बारिश हो सकती है, जिससे कृषि में वृद्धि होगी। असम, पूर्वी बिहार, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में बारिश की संभावना है, हालांकि अत्यधिक बारिश से बाढ़ की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
पश्चिमी भारत
पश्चिमी भारत के तटीय इलाकों में ला नीना का प्रभाव हल्की बारिश के रूप में देखा जा सकता है, खासकर मुंबई और कोंकण क्षेत्र में। इस प्रकार, ला नीना का प्रभाव पूरे देश में मौसम के पैटर्न को प्रभावित करेगा, जिससे कुछ क्षेत्रों में सर्दी तो कुछ में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।