आयुष्मान भारत योजना से दिव्यांग शंकर गुप्ता को मिला नया जीवन

रामचन्द्रपुर। 32 वर्षीय शंकर गुप्ता, जो पहले से शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, हाल ही में एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हुए। घर लौटते समय उनकी टांग की हड्डियाँ चार जगह टूट गईं — घुटने का पटेला, फीमर और लांग बोन क्षति। स्थिति गंभीर थी और चिकित्सकों ने तुरंत सर्जरी की सलाह दी।
आयुष्मान भारत योजना बनी संजीवनी...
जिला अस्पताल में शंकर गुप्ता का इलाज अनुमानित रूप से 80 हजार रुपये का था। सीमित संसाधनों वाले परिवार के लिए यह राशि बहुत बड़ी थी। ऐसी कठिन स्थिति में आयुष्मान भारत योजना उनके लिए वरदान साबित हुई। योजना के तहत सर्जरी, सीटी स्कैन, दवाइयाँ और समस्त उपचार निःशुल्क हुआ। सर्जरी सफल रही और शंकर की सेहत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। चिकित्सकों की निगरानी में अब वे फिर से खड़े होने का प्रयास कर रहे हैं।
दुर्लभ संघर्ष से नई शुरुआत...
इलाज पूरा होने के बाद शंकर गुप्ता ने भावुक होकर कहा —
“मैं पहले से दिव्यांग हूँ और दुर्घटना के बाद लगा कि अब शायद जीवनभर चल नहीं पाऊँगा। लेकिन आयुष्मान योजना ने मुझे नया जीवन दिया। यह केवल इलाज नहीं, बल्कि जीने का हौसला है। सरकार की यह योजना सही मायनों में जरूरतमंदों के लिए वरदान साबित हुई।”
उनकी कहानी यह दर्शाती है कि सरकारी योजनाएँ जब सही जरूरतमंद तक पहुँचती हैं, तो वे किसी के जीवन में सच्चा बदलाव और आशा पैदा कर सकती हैं।



