खैरागढ़ में कचरा प्रबंधन की बदइंतजामी, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर संकट

खैरागढ़। स्वच्छ भारत मिशन के दावों के बीच खैरागढ़ शहर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति गंभीर रूप से चिंताजनक हो गई है। शहर के विभिन्न वार्डों से प्रतिदिन एकत्रित होने वाला घरेलू कचरा, प्लास्टिक, मेडिकल वेस्ट तथा अन्य खतरनाक ठोस अपशिष्ट मुड़पार खार के खुले मैदान में अनियंत्रित रूप से डंप किया जा रहा है। यह प्रक्रिया न केवल वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि स्थानीय नागरिकों, किसानों और पशुओं के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है।
डंपिंग स्थल पर कचरे के ढेरों में बार-बार आग लगने से निकलने वाला जहरीला धुआं आसपास के क्षेत्र में फैल रहा है। इससे निवासियों में खांसी, आंखों में जलन और सांस संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। अस्थमा एवं श्वसन रोग से पीड़ित व्यक्तियों पर इसका प्रभाव विशेष रूप से गंभीर है।
किसानों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। धुएं की मोटी परत खेतों तक पहुंच रही है, जिससे फसलें झुलस रही हैं और उपज में कमी आ रही है। उड़कर खेतों में पहुंचने वाला प्लास्टिक एवं मेडिकल अपशिष्ट मिट्टी की उर्वरता को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा रहा है।
इसी तरह खुले में बिखरा अपशिष्ट मवेशियों के लिए घातक साबित हो रहा है। गाय-बैल प्लास्टिक और मेडिकल वेस्ट निगल रहे हैं, जिससे उनकी सेहत को गंभीर खतरा है।
नगर पालिका प्रशासन का रवैया पूरी तरह उदासीन बना हुआ है। मामले की जानकारी लेने पर संबंधित अधिकारी कार्यालय में अनुपस्थित पाए गए। निगरानी का कोई सिस्टम नहीं है, न रोकथाम के उपाय और न ही कोई ठोस कार्ययोजना। इससे स्पष्ट है कि कागजी स्वच्छता अभियान और जमीनी हकीकत के बीच गहरी खाई है।
स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्र में बड़ी संकट पैदा हो सकता है। उनका कहना है कि कचरा प्रबंधन में जारी लापरवाही तत्काल रोकी जाए और प्रशासन इस समस्या को प्राथमिकता देकर वैज्ञानिक समाधान लागू करे।



