छत्तीसगढ़ को मिला देश का पहला डिजिटल ट्राइबल म्यूजियम, वीर नारायण सिंह से लेकर बिरसा मुंडा तक की गाथाएं होंगी जीवंत

रायपुर। आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा जहां देशभर के जनजातीय समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में सोनाखान के जमींदार वीर नारायण सिंह ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक कर इतिहास रचा। वे छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पहले शहीद माने जाते हैं।
इन महान नायकों की शौर्य गाथा अब नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने घोषणा की है कि नवा रायपुर में आदिवासी नायकों की स्मृति में एक भव्य डिजिटल संग्रहालय बनाया गया है, जो जनजातीय संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संग्रहालय छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति का वैश्विक केंद्र बनेगा।
“यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों की स्मृति और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक है,”
— मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
देश का पहला डिजिटल ट्राइबल म्यूजियम...
प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने बताया कि नवा रायपुर के सेक्टर-24 में बन रहा यह संग्रहालय देश का पहला पूर्णत: डिजिटल ट्राइबल म्यूजियम होगा। करीब ₹50 करोड़ की लागत से तैयार इस संग्रहालय का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगांठ (1 नवंबर) के अवसर पर करेंगे।

वीरता, विद्रोह और संस्कृति का संगम...
इस संग्रहालय में छत्तीसगढ़ के जनजातीय नायकों और विद्रोहों को 14 अलग-अलग सेक्टरों में दर्शाया गया है। इनमें शामिल हैं —
- हल्बा विद्रोह,
- सरगुजा विद्रोह,
- भोपालपट्टनम,
- परलकोट,
- तारापुर,
- लिंगागिरी,
- कोई-मेरिया-मुरिया आंदोलन,
- रानी चौरिस,
- भूमकाल आंदोलन,
- सोनाखान विद्रोह,
- झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह।
संग्रहालय में वीर नारायण सिंह का भव्य स्मारक, भगवान बिरसा मुंडा, शहीद गैंदसिंह, और रानी गाइडल्यू की मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को साहस और त्याग की प्रेरणा देंगी।
डिजिटल और सांस्कृतिक अनुभव का अनूठा संगम...
संग्रहालय में आगंतुकों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं —
- VFX और 3D प्रोजेक्शन के जरिये विद्रोहों की जीवंत झलक,
- QR कोड स्कैन से मोबाइल पर इतिहास की जानकारी,
- सेल्फी पॉइंट,
- दिव्यांगजन व वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष व्यवस्थाएं,
- और ट्राइबल आर्ट से सजा फर्श।
प्रवेश द्वार पर सरगुजा के शिल्पकारों द्वारा नक्काशीदार पैनल और 1400 वर्ष पुराने साल, महुआ और साजा वृक्ष की प्रतिकृति स्थापित की गई है, जिसकी पत्तियों पर 14 विद्रोहों की डिजिटल कहानियां उकेरी गई हैं। यह वृक्ष चलते-फिरते मोशन विजुअल्स के रूप में पूरे इतिहास को जीवंत करता है।
आदिवासी गौरव को समर्पित...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर देशभर में जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत की थी। अब छत्तीसगढ़ में यह डिजिटल संग्रहालय उसी भावना का विस्तार है — जो जनजातीय समाज को मुख्यधारा से जोड़ते हुए, उनके इतिहास, संस्कृति और योगदान को सम्मान देता है।



