लोकसभा में सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने पुलिस रिपोर्टिंग प्रणाली को पूर्णत: डिजिटल बनाने की मांग उठाई

रायपुर। लोकसभा के शीतकालीन सत्र में गुरुवार को रायपुर सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने शून्यकाल के दौरान लाखों नागरिकों से जुड़ी एक महत्वपूर्ण समस्या को उठाते हुए कहा कि पुलिस से संबंधित कई संवेदनशील प्रक्रियाओं को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाना आवश्यक है। उन्होंने भारत सरकार और गृह मंत्रालय से मांग की कि इंश्योरेंस क्लेम, चोरी के मामलों तथा अप्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में आवश्यक नॉन-ट्रेसेबल रिपोर्ट और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की जारी प्रक्रिया को ऑटो-डिजिटल प्रणाली में परिवर्तित किया जाए, ताकि प्रभावित परिवारों को देरी, भ्रष्टाचार और अनावश्यक दौड़भाग से मुक्ति मिल सके।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि अप्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में परिवार पहले ही मानसिक और भावनात्मक आघात से गुजरता है। ऐसे समय में दस्तावेजों के लिए उन्हें इधर-उधर भटकाना अमानवीय है। चोरी के मामलों में भी नॉन-ट्रेसेबल सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए लोगों को लंबी और कई बार भ्रष्टाचार से प्रभावित प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसके कारण इंश्योरेंस क्लेम लंबे समय तक लंबित रहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रक्रियाओं के पूर्ण डिजिटल होने से मानवीय हस्तक्षेप कम होगा और शोषण की संभावना समाप्त हो जाएगी।
उन्होंने इस समस्या को राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद एक प्रणालीगत कमी बताया। उन्होंने कहा कि इसी कारण राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को रिश्वतखोरी की शिकायतों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कर्नाटक के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी करना पड़ा था। यह घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि तकनीक आधारित सुधार अब केवल विकल्प नहीं, बल्कि जरूरी है।
सांसद अग्रवाल ने गृह मंत्रालय के समक्ष सुझाव रखते हुए कहा कि सभी आवश्यक पुलिस रिपोर्टों को CCTNS प्रणाली से जोड़कर पीड़ितों के मोबाइल फोन पर सीधे उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने रिपोर्टों की ऑटो-डिलीवरी, समयबद्ध प्रक्रिया और पूरी तरह ट्रैकिंग की सुविधा लागू करने का आग्रह किया। उनका कहना था कि यह कदम आम नागरिकों के जीवन को सरल बनाएगा और पुलिस व्यवस्था के प्रति विश्वास को मजबूत करेगा।



