Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश में बिल्लियों में मिला H5N1 फ्लू का पहला मामला, सतर्क हुए डॉक्टर

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में घरेलू बिल्लियों में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का पहला मामला सामने आया है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि उनके मालिक अभी तक इससे अप्रभावित हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने गुरुवार को एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि मध्य प्रदेश में एच5एनआई के लिए सकारात्मक परीक्षण करने वाली तीन से चार बिल्लियों के मालिक इस बीमारी से पीड़ित नहीं हैं.

हालांकि फिर भी पक्षियों से स्तनधारियों में H5N1 वायरस के उत्परिवर्तन ने यह चिंता उत्पन्न कर दी है कि यह मनुष्यों को भी प्रभावित कर सकता है. मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग के निदेशक पीएस पटेल ने पीटीआई को बताया, जनवरी में छिंदवाड़ा से भोपाल स्थित आईसीएआर-राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान को भेजे गए तीन से चार बिल्लियों के रक्त, नाक और गुदा के नमूने एच5एनआई के लिए सकारात्मक पाए गए हैं. हालांकि, उनके मालिकों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है. पटेल ने कहा कि बिल्लियों में एवियन फ्लू की पुष्टि होने के बाद राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने उनके मालिकों को पृथक कर दिया है तथा उनकी निगरानी की जा रही है.

पटेल ने कहा, हमने अपनी सतर्कता कम नहीं की है. हम समय-समय पर छिंदवाड़ा और मध्य प्रदेश के अन्य स्थानों से बिल्लियों और पक्षियों के नमूने भेज रहे हैं, लेकिन उनमें से किसी में भी एवियन वायरस की पुष्टि नहीं हुई है. मनुष्यों में इसके उत्परिवर्तन के बारे में अभी चिंता करने या घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है.

पशुपालन विभाग के वैज्ञानिकों ने क्या बताया?

आईसीएआर-एनआईएचएसएडी और केंद्र सरकार के पशुपालन विभाग के वैज्ञानिकों ने छिंदवाड़ा में घरेलू बिल्लियों में पाए गए एच5एन1 मामलों का दस्तावेजीकरण किया है. मध्य प्रदेश का यह जिला महाराष्ट्र के नागपुर की सीमा पर है, जहां कई बड़ी बिल्लियाँ एवियन फ्लू से प्रभावित हुई हैं.  अध्ययन के अनुसार, H5N1 वायरस के 2.3.2.1a प्रकार ने छिंदवाड़ा में घरेलू बिल्लियों को प्रभावित किया है. 

H5N1 फ्लू  के क्या है लक्षण? 

अध्ययन में पाया गया कि बिल्लियां तेज बुखार, भूख न लगना और सुस्ती जैसे लक्षण दिखाने के एक से तीन दिन बाद बीमारी की चपेट में आ गईं. अध्ययन में यह भी पाया गया कि बिल्लियों को प्रभावित करने वाले वेरिएंट में 27 उत्परिवर्तन हैं, जो आमतौर पर पोल्ट्री में पाए जाने वाले वेरिएंट से अलग हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, इसके लिए मनुष्यों सहित मुर्गी, जंगली पक्षियों और स्तनधारियों पर सतर्क नजर रखने की आवश्यकता है, क्योंकि इस वायरस ने विभिन्न प्रजातियों के बीच फैलने की क्षमता दिखाई है.

Chaiपुर
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NU Desk

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