ईरान-इजरायल संघर्ष के बाद ट्रंप का नरम रुख, तेल प्रतिबंधों पर ढील के संकेत

ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों के संघर्ष के बाद सीजफायर हो गया। सीजफायर के बाद ईरान को लेकर अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नरमी के संकेत दे रहे हैं। ट्रंप ने ऐसा संकेत दिया कि ईरान पर लगे प्रतिबंधों पर आने वाले दिनों में ढील दी जा सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ईरान को अपने पुनर्निर्माण के लिए पैसों की जरूरत पड़ेगी। तेल के जरिए इसे दूर किया जा सकता है। ट्रंप ने कहा कि चीन अगर ईरान से तेल खरीदता है तो उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं होगी। हालांकि ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान पर लागू ‘मैक्सिमम प्रेशर’ जारी रहेगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने नीदरलैंड के हेग में आयोजित नाटो शिख्खर सम्मेलन कहा कि ईरान को अपने देश को फिर से खड़ा करने के लिए पैसों की जरूरत होगी। ट्रंप ने कहा कि हम चाहते हैं कि वो ऐसा करें। अभी-अभी जंग खत्म हुई है। उन्होंने (ईरान) बहादुरी से जंग लड़ा। वे तेल के कारोबारी हैं। मैं चाहूं तो खुद चीन को तेल बेच सकता हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं करता। वे तेल बेचना चाहते हैं तो बेचें. हम उनके तेल संपत्ति को नहीं हथिया रहे हैं। वहीं, व्हाइट हाउस ने भी ये स्पष्ट कर दिया है कि ईरान के तेल पर लगे प्रतिबंधों की नीति में यह बदलाव नहीं है।
मध्य पूर्व मामलों के लिए अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने इस संबंध में प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ट्रंप की टिप्पणी का मकसद बस चीन को संकेत देना था कि हम आपके साथ काम करना चाहते हैं। आपके इकोनॉमी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले को हिरोशिमा-नागासाकी से तुलना की है। उन्होंने कहा कि उस हमले ने ईरान और इजरायल के बीच चल रहे जंग को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं हिरोशिमा-नागासाकी का उदाहरण नहीं देना चाहता हूं। लेकिन यह हमला वैसा ही था, जिससे जंग का अंत हुआ। अगर यह हमला हमने ना किया होता तो दोनों के बीच जंग अभी भी जारी रहती।