पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका में पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और लैंगिक समानता पर दिया बयान…

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने न्यायाधीशों की संपत्ति की घोषणा का समर्थन करते हुए इस पर संतुलित नजरिया अपनाने की बात कही है। न्यूज-18 द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, न्यायपालिका में पारदर्शिता और महिला भागीदारी जैसे अहम मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।
उन्होंने कहा, “स्वतंत्र अभिव्यक्ति भारतीय लोकतंत्र का मूल आधार है और इसे कभी भी समझौते का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत के पास अश्लीलता, मानहानि और धार्मिक घृणा जैसे मामलों से निपटने के लिए मजबूत कानूनी ढांचा पहले से ही मौजूद है।
न्यायाधीशों की संपत्ति से जुड़ी पारदर्शिता पर उन्होंने कहा कि सभी जज भी आम नागरिक की तरह होते हैं। संपत्ति विवरण सार्वजनिक करना एक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन इसकी प्रक्रिया ऐसी नहीं होनी चाहिए जो योग्य और सक्षम लोगों को न्यायपालिका से जुड़ने से हतोत्साहित करे। उन्होंने यह जिम्मा न्यायाधीशों पर छोड़ा कि वे इसे वेबसाइट पर साझा करें या नहीं।
महिला न्यायाधीशों की भागीदारी पर उन्होंने जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को समान अवसर देना केवल न्यायिक क्षेत्र का मुद्दा नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक जिम्मेदारी है।