कवर्धा में दीपों से पहले दिल जगमगाए: उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्वच्छता कर्मियों संग मनाई दीपावली, बढ़ाया सम्मान का उजियारा

कवर्धा। छत्तीसगढ़ में इस बार की दीपावली केवल रोशनी का नहीं, बल्कि सम्मान और संवेदना का पर्व बन गई। राज्य के उपमुख्यमंत्री और कवर्धा विधायक विजय शर्मा ने अपने निवास पर एक अनोखी पहल करते हुए नगर पालिका क्षेत्र के करीब 200 स्वच्छता दीदी और स्वच्छता कमांडो को आमंत्रित कर उनके साथ दीपावली मनाई। उन्होंने उन्हें उपहार, मिठाई और फटाखे भेंट किए तथा उनके साथ आत्मीय जलपान कर सम्मान का संदेश दिया।
यह आयोजन पूरे प्रदेश में अपनी तरह का पहला अवसर रहा, जिसने यह साबित किया कि दीपावली केवल घर सजाने का नहीं, बल्कि उन हाथों को सम्मान देने का पर्व है जो हर दिन हमारे शहर को साफ-सुथरा रखते हैं।

इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष ईश्वरी साहू, नगर पालिका अध्यक्ष चंद्रप्रकाश चन्द्रवंशी, सीएमओ रोहित साहू सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अधिकारी और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
“स्वच्छता कर्मी ही असली दीप हैं” — विजय शर्मा...
उपमुख्यमंत्री शर्मा ने कहा,
“दीपावली का अर्थ केवल अपने घर को रोशन करना नहीं, बल्कि उन लोगों के जीवन में भी प्रकाश फैलाना है जो पूरे वर्ष शहर की सफाई में जुटे रहते हैं। स्वच्छता कर्मी हमारे समाज के ‘स्वच्छता के दीप’ हैं, जो अपने कर्म से हर दिन उजियारा फैलाते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने में इन स्वच्छता दीदी और भाइयों की भूमिका सबसे अहम रही है। शर्मा ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे समय-समय पर इन कर्मवीरों के साथ संवाद करें और उनके योगदान का सम्मान करें।

स्वच्छता कर्मियों ने कहा – “यह दीपावली हमारे लिए यादगार बन गई”
कार्यक्रम में शामिल स्वच्छता दीदियों ने कहा कि उपमुख्यमंत्री से मिला यह सम्मान उनके लिए प्रेरणादायक है और इससे उनका आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया है। सभी ने शहर को स्वच्छ बनाए रखने का संकल्प दोहराया और विजय शर्मा को दीपावली की शुभकामनाएं दीं।
नगरवासियों और सामाजिक संगठनों ने भी शर्मा की इस पहल को सराहा और कहा कि
“समाज में सबसे बड़ा सम्मान उन्हीं को मिलना चाहिए जो बिना दिखावे के हर सुबह शहर को नया जीवन देते हैं।”
“सम्मान ही सबसे बड़ा उपहार” — विजय शर्मा...
कार्यक्रम के अंत में उपमुख्यमंत्री शर्मा ने कहा,
“आज का यह आयोजन केवल उपहार बांटने का नहीं, बल्कि समाज में स्वच्छता कर्मियों की गरिमा को स्थापित करने का प्रयास है। असली दीप वे नहीं जो मोम से जलते हैं, बल्कि वे हैं जो अपने कर्म से दूसरों के जीवन में रोशनी फैलाते हैं।”
