बीजापुर में सीआरपीएफ का कमाल, बांस का पुल बना ग्रामीणों की जीवनरेखा…

बीजापुर (छत्तीसगढ़)। दक्षिण बस्तर में लगातार बारिश और बाढ़ के बीच सीआरपीएफ जवानों ने अनोखी मिसाल पेश की है। बीजापुर जिले के तोड़का गांव में जवानों ने बांस, लकड़ी और रस्सियों से अस्थायी पुल बनाकर ग्रामीणों के लिए जीवन रेखा तैयार कर दी। यह पुल अब दस से अधिक गांवों के लोगों के लिए राहत का नया रास्ता बन गया है।
बाढ़ और अलगाव की दोहरी मार...
बरसात के दिनों में तोड़का और आसपास के गांव लगभग मुख्यधारा से कट जाते थे। गंगालूर बाजार तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को 15 किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना पड़ता था। नदी का तेज बहाव पार करना खतरनाक और जानलेवा साबित होता था। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे कई बार अपनी जान जोखिम में डालकर पानी पार करने को मजबूर होते थे।
सीआरपीएफ की त्वरित पहल...
ग्रामीणों की मुश्किलें समझते हुए सीआरपीएफ ने पहल की और बांस व लकड़ी से अस्थायी पुल तैयार किया।
अब ग्रामीणों को बाजार, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए तेज बहाव का सामना नहीं करना पड़ रहा है।
ग्रामीणों की राहत...
स्थानीय निवासी सोमारी ने बताया –
पहले नदी पार करना बहुत खतरनाक था। कई बार हमें बच्चों को गोद में उठाकर उतरना पड़ता था। अब यह पुल हमारी जिंदगी आसान बना रहा है।
नक्सल प्रभावित इलाका, फिर भी विकास की कोशिश...
यह इलाका नक्सली प्रभाव वाला माना जाता है। फरवरी 2025 में कोरोचोली जंगल में सुरक्षा बलों ने 6 माओवादियों को मार गिराया था। वहीं 2024 में लेंदरा इलाके में हुई मुठभेड़ में 10 माओवादी ढेर हुए थे। इसी क्षेत्र में शिक्षा दूत कालू ताती की हत्या भी हुई थी। इसके बावजूद सीआरपीएफ न सिर्फ सुरक्षा, बल्कि विकास और मानवीय पहल में भी अहम भूमिका निभा रही है।
दस से ज्यादा गांवों को सीधी राहत...
इस अस्थायी पुल से न सिर्फ तोड़का, बल्कि आसपास के 10 से ज्यादा गांवों को भी राहत मिली है. अब लोग रोजमर्रा की जरूरतों के लिए सुरक्षित रास्ते से आ-जा पा रहे हैं. बच्चों की स्कूल पहुंच में भी सुधार आया है और गर्भवती महिलाओं व बीमार लोगों को स्वास्थ्य केंद्र ले जाना आसान हुआ है|
आगे की योजना...
स्थानीय प्रशासन के द्वारा रोड बनाई जा रही है वाह अब आँगनवादी स्कूल बनाए गए. सीआरपीएफ के कैंप मे ग्रामीणों का इलाज किया जा रहा है|