एसआईआर अवधि बढ़ाने को कांग्रेस ने बताया अपर्याप्त, तीन महीने की मांग दोहराई

रायपुर। एसआईआर (SIR) प्रक्रिया की अवधि सिर्फ सात दिन बढ़ाए जाने को कांग्रेस ने अपर्याप्त बताया है। पार्टी का कहना है कि आयोग को दिए गए ज्ञापन में स्पष्ट रूप से मांग की गई थी कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए एसआईआर की अवधि कम से कम तीन महीने तक बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि सिर्फ एक महीने में पूरी प्रक्रिया संपन्न कर पाना संभव नहीं है।
कांग्रेस ने तर्क दिया कि इस समय राज्य में धान कटाई और धान खरीदी का समय चल रहा है, जिससे ग्रामीणों पर कार्यभार अधिक है। वहीं बस्तर संभाग के कई क्षेत्रों में आई बाढ़ के चलते बड़ी संख्या में लोगों के दस्तावेज नष्ट या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ऐसे में कम समय में नए दस्तावेज तैयार कर जमा करना लोगों के लिए कठिन है।
पार्टी ने यह भी बताया कि मनरेगा के कार्य बंद होने से बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, जशपुर और बस्तर क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रमिक रोज़गार की तलाश में अन्य राज्यों की ओर पलायन कर चुके हैं। इनके वापस आने और दस्तावेज जमा करने में स्वाभाविक रूप से समय लगेगा।
कांग्रेस के अनुसार सबसे गंभीर स्थिति बस्तर के लगभग 600 नक्सल प्रभावित गांवों की है, जहां के लोग वर्षों से गांव छोड़कर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में रह रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए इतनी कम अवधि में एसआईआर प्रक्रिया पूरी करना संभव नहीं है, इसलिए आयोग को जमीनी हकीकत समझते हुए समय बढ़ाना चाहिए।
कांग्रेस ने दावा किया कि एसआईआर शुरू हुए 26 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कुल आबादी के 50 प्रतिशत से भी कम लोगों ने अपने प्रपत्र जमा किए हैं। पार्टी का कहना है कि आयोग की ओर से 97 प्रतिशत फॉर्म जमा होने का दावा किया जा रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि कई लोगों तक फॉर्म अभी पहुंचे ही नहीं हैं।
कांग्रेस का यह भी मत है कि चुनाव में अभी तीन वर्ष शेष हैं, इसलिए मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण जल्दबाजी में एक माह में पूरा करने की आवश्यकता नहीं है। यदि अवधि तीन महीने कर दी जाए तो प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुचारू रूप से पूरी हो सकेगी।



