Cows Death Case : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, कहा – रिपोर्ट सिर्फ कागज़ों में भरी गई, ज़मीनी हकीकत गायब

अधूरी जानकारी पर भड़के चीफ जस्टिस
Cows Death Case : बिलासपुर में मवेशियों की मौत को लेकर हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार को सख्त लहजे में फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि पशुधन विभाग की ओर से दाखिल किया गया शपथपत्र सिर्फ औपचारिकता है। न इसमें मवेशियों की असली संख्या दी गई, न चारा, पानी और (Cattle Health Facilities) का कोई ब्यौरा। जज ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा— “ऐसा लगता है जैसे यह रिपोर्ट सिर्फ दिखावे के लिए तैयार की गई है।”
मवेशियों की मौत पर मांगी पूरी पड़ताल रिपोर्ट
27 अक्टूबर को हुई सुनवाई में डिवीजन बेंच ने पशुधन विकास विभाग के सचिव को आदेश दिया कि वे विस्तृत रिपोर्ट पेश करें। इसमें (Cows Shelter Management) से जुड़ी सारी जानकारी शामिल होनी चाहिए— जैसे मृत्यु के कारण, रोकथाम के उपाय और ज़िला स्तर पर उठाए गए कदम। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना ठोस डेटा के कोई भी जवाब स्वीकार नहीं किया जाएगा। अगली सुनवाई 19 नवंबर को तय की गई है।
Cows Death Case पर हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
यह मामला तब सामने आया जब बिलासपुर जिले के बेलतरा और सुकुलकारी इलाके से मवेशियों की लगातार मौत की खबरें आईं। कोर्ट ने जनहित को देखते हुए इसे (Public Interest Case) के रूप में दर्ज किया। पिछली सुनवाई में सरकार को विस्तृत हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन विभाग की ओर से जो रिपोर्ट आई, उसमें तथ्यों की कमी थी, जिससे बेंच ने नाराजगी जताई।
प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सख्त सवाल
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि 15 अक्टूबर को घटना हुई, मगर प्रशासन 23 अक्टूबर तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सका। गांवों में सड़े शवों का मिलना इस बात का सबूत है कि (Cattle Monitoring System) पूरी तरह विफल रहा। इसके अलावा, यह भी स्पष्ट नहीं किया गया कि मृत मवेशी गौठान के थे या निजी मालिकों के। कोर्ट ने कहा— “सरकार की जवाबदेही तय होनी चाहिए, वरना हालात और बिगड़ेंगे।”
‘गो-धाम योजना’ पर भी उठे सवाल
राज्य सरकार ने दलील दी कि उसने ‘गो-धाम योजना’ लागू की है, जिसकी सूचना सभी कलेक्टरों को 6 अगस्त 2025 को दी गई थी। लेकिन कोर्ट ने कहा कि योजनाएं सिर्फ कागज़ों में नहीं, ज़मीन पर नज़र आनी चाहिए। जस्टिस ने यह भी कहा कि अगर यह योजना प्रभावी होती, तो इतने बड़े पैमाने पर मवेशियों की मौत नहीं होती।
खानापूर्ति नहीं, जवाबदेही चाहिए – हाईकोर्ट
बेंच ने साफ कहा कि विभाग की जवाबदेही तय की जाए। कोर्ट ने कहा— “सरकार का रवैया केवल कागज़ी कार्यवाही तक सीमित नहीं रहना चाहिए। मवेशियों की सुरक्षा, भोजन, पानी और स्वास्थ्य (Cows Welfare) से जुड़ी हर जिम्मेदारी स्पष्ट होनी चाहिए।” अदालत ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक ज़मीनी रिपोर्ट पेश की जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।



