छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का बड़ा खुलासा: 2161 करोड़ की गड़बड़ी, अफसर-सिंडिकेट की साजिश बेनकाब…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए 2161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले की परतें लगातार खुलती जा रही हैं। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने शुक्रवार को इस मामले में पांचवां पूरक चालान कोर्ट में पेश किया, जिसमें अफसरों और सिंडिकेट की गहरी साजिश का खुलासा हुआ है।

जांच में सामने आया है कि इस घोटाले में 23 से ज्यादा आबकारी अफसर शामिल थे। इन अफसरों ने मिलकर एक संगठित सिंडिकेट बनाया, जो हर साल करीब 70 करोड़ रुपए की अवैध वसूली करता था। सबसे चौंकाने वाला खुलासा तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास को लेकर हुआ, जिन्हें हर महीने 50 लाख रुपए की अवैध रकम सिंडिकेट के सरगना अरुणपति त्रिपाठी के माध्यम से दी जाती थी।

EOW के अनुसार, 2019 से 2023 तक शराब सप्लायरों से 319 करोड़ की उगाही, जबकि 280 करोड़ की डुप्लीकेट होलोग्राम शराब बेची गई। अफसरों ने लगभग 60 लाख पेटी शराब बिना सरकारी रिकॉर्ड में चढ़ाए बाज़ार में खपाई, जिससे 2174 करोड़ की कीमत वाली शराब गायब कर दी गई।

15 जिलों में अफसरों को प्रति पेटी 150 रुपए का कमीशन मिलता था। शुरू में हर महीने 200 ट्रक अवैध शराब सप्लाई होती थी, जो बाद में बढ़कर 400 ट्रक तक पहुंच गई।

डुप्लीकेट होलोग्राम प्रिंटिंग की जिम्मेदारी तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त जनार्दन कौरव पर थी, जो इसे सीधे डिस्टलरी भेजते थे। इसके बाद अमित सिंह, दीपक दुआरी और प्रकाश शर्मा की मदद से अवैध शराब को दुकानों तक पहुंचाया जाता था।


EOW की चार्जशीट के अनुसार, अरुणपति त्रिपाठी ने अकेले 20 करोड़ रुपए का कमीशन डुप्लीकेट शराब से कमाया। इस घोटाले में कई रसूखदार अफसरों और व्यापारियों की संलिप्तता सामने आई है, और आगे और खुलासों की उम्मीद जताई जा रही है।
