हाईकोर्ट का बड़ा आदेश : 1000 करोड़ के नि:शक्तजन घोटाले की जांच अब CBI करेगी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य स्त्रोत नि:शक्तजन संस्थान के नाम पर हुए करीब 1000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला इतना बड़ा और जटिल है कि इसकी निष्पक्ष पड़ताल केवल केंद्रीय एजेंसी ही कर सकती है।
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी...
जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रारंभिक जांच में ही भारी अनियमितताओं के सबूत सामने आ चुके हैं। ऐसे में स्थानीय एजेंसियों से जांच कराना न्यायोचित नहीं होगा। कोर्ट ने सीबीआई को 15 दिनों के भीतर सभी दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू करने का निर्देश दिया।
इन बड़े अफसरों पर लगे आरोप...
इस घोटाले में राज्य के 6 आईएएस अधिकारी – विवेक ढांड (पूर्व मुख्य सचिव), आलोक शुक्ला, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती – के साथ-साथ कई राज्य सेवा संवर्ग के अफसरों के नाम भी सामने आए हैं। इनमें सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा शामिल हैं।
कैसे हुआ खुलासा?
इस घोटाले का पर्दाफाश 2018 में एक जनहित याचिका (PIL) से हुआ, जिसे रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर किया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि राज्य स्त्रोत नि:शक्तजन संस्थान सिर्फ कागजों में था, जबकि असल में ऐसी कोई सरकारी संस्था अस्तित्व में ही नहीं थी।
2004 से 2018 के बीच इस फर्जी संस्थान के नाम पर लगभग 1000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की गई। हैरानी की बात यह रही कि याचिकाकर्ता खुद को सरकारी अस्पताल का कर्मचारी बताया गया, लेकिन RTI से पता चला कि वहां अस्पताल चलाने का काम तो एक एनजीओ कर रहा है।
जांच में उजागर हुई गड़बड़ियां...
बैंक ऑफ इंडिया और SBI मोतीबाग शाखा से फर्जी आधार कार्ड बनाकर करोड़ों रुपये की निकासी।
अस्पताल के नाम पर मेडिकल मशीनरी और रखरखाव में करोड़ों खर्च दिखाए गए।
तात्कालीन मुख्य सचिव अजय सिंह ने हलफनामे में 150-200 करोड़ की अनियमितताओं की पुष्टि की थी।
सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट तक सफर...
इस घोटाले में नामजद अधिकारियों ने पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामला हाईकोर्ट को लौटा दिया। अब हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से सीबीआई जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
अब आगे क्या?
सीबीआई जल्द ही इस घोटाले से जुड़े सभी दस्तावेज अपने कब्जे में लेकर गहन जांच शुरू करेगी। माना जा रहा है कि कई वरिष्ठ अधिकारियों का करियर और प्रतिष्ठा दांव पर लग सकती है। यह केस छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक पारदर्शिता और जनता के विश्वास से जुड़ा होने के कारण बेहद संवेदनशील माना जा रहा है।